शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि स्कूली किताबों में वेदों और अन्य प्राचीन ग्रन्थों को प्रमुखता से शामिल किया जाए. सरकार से लोगों पर एक ख़ास विचारधारा नहीं थोपने की गुज़ारिश की है. शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने स्कूली किताबों की विषय वस्तु में सुधार को लेकर एक रिपोर्ट संसद में पेश की है. समिति ने स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव करने की सिफ़ारिश की है. समिति ने सिफ़ारिश की है कि एनसीईआरटी और एससीइआरटी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में वेदों और अन्य प्राचीन ग्रन्थों में निहित जीवन और समाज से जुड़ी शिक्षा और ज्ञान को शामिल करना चाहिए.
स्कूली पाठ्यक्रम में उचित स्थान मिलना चाहिए
नालंदा , विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में इस्तेमाल होने वाले पाठन के तरीकों का अध्ययन किया जाए और आधुनिक ज़रूरतों के मुताबिक़ बदलाव कर उसके बारे में शिक्षकों को बताया जाए. विज्ञान, गणित और चिकित्सा जैसे विषयों में प्राचीन भारत के योगदान को भी स्कूली पाठ्यक्रम में उचित स्थान मिलना चाहिए और उसे एनसीईआरटी किताबों में आधुनिक विज्ञान से जोड़कर पेश किया जाना चाहिए.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में संतुलित और न्यायपूर्ण अवधारणा तैयार करने पर बल दिया है ताकि उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी पाठ्य पुस्तकों में जगह मिल सके जिन्हें अभी तक उचित स्थान नहीं मिल सका है. इसके लिए समिति ने देश के अग्रणी इतिहासकारों के साथ उस प्रक्रिया की समीक्षा करने की ज़रूरत बताई है जिससे भारत के अलग-अलग हिस्सों से स्वतंत्रता सेनानी पाठ्य पुस्तकों में जगह पाते हैं.
किसी विचारधारा को थोपना ठीक नहीं है- कांग्रेस नेता
उधर विपक्ष ने सरकार से किसी भी विचारधारा को छात्रों पर नहीं थोपने की गुज़ारिश की है. समिति के सदस्य और कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि बच्चों को इतिहास पढ़ना चाहिए लेकिन किसी विचारधारा को थोपना ठीक नहीं है. उनके मुताबिक आधुनिक शिक्षा की ज़रूरत का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.