संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 11 अगस्त तक चलने की उम्मीद है. इस बार के मानसून सत्र का कार्यकाल 17 दिनों का है, जिसमें 31 बिल पेश किए जाने की तैयारी सरकार द्वारा की गई है. इस सत्र में पास कराने वाले बिल में नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली अमेंडमेंट बिल, डेटा प्रोटेक्शन बिल सहित जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल अहम हैं. इन सभी बिल को लेकर पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा की जा रही है.
दिल्ली के भविष्य को लेकर बिल लाने की तैयारी
राजनीतिक रूप से नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली अमेंडमेंट बिल, दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के बीच तनातनी की वजह बन गया है. ये बिल सदन में पास होने के बाद दिल्ली सर्विसेज ऑर्डिनेंस 2023 को रिप्लेस कर देगा और केन्द्र सरकार दिल्ली को लेकर कई अहम मसलों पर फैसले लेने की पावर अपने पास रख सकती है. दरअसल 19 मई को केन्द्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जो दिल्ली सरकार में कार्यरत अधिकारियों के तबादले को लेकर केंद्रित था. केन्द्र सरकार ने दिल्ली सरकार से अधिकारियों की पोस्टिंग से लेकर सर्विसेज के मसले पर अध्यादेश के जरिए पावर अपने पास रखने का प्रावधान कर लिया था.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में एलजी के विवेकाधीन शक्तियों में इजाफा करने की बात कही गई थी. इसमें नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज संस्था के जरिए अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग सहित विजिलेंस और आकस्मिक मामलों में डील करने की बात कही गई थी. इतना ही नहीं अध्यादेश में सिविल सर्विसेज अथॉरिटी को हेड करने के लिए सीएम सहित, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रधान सचिव होम की टीम को संयुक्त रूप से जिम्मेदारी दी गई थी. सर्विसेज के मसले पर दिल्ली के मुख्य सचिव दिल्ली के एलजी को सलाह देने के लिए अधिकृत किए गए थे.
दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौती
दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार के अध्यादेश की वैधता से दुखी होकर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और इसे सहकारी संघवाद के खिलाफ बताया था. दिल्ली सरकार के मुताबिक अध्यादेश की वजह से सरकार के शासन करने की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा और केन्द्र और राज्य के बीच के रिश्ते खराब होंगे. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के पिटीशन को सुनने की तारीख 20 तारीख यानि गुरुवार को तय की है . गौरतलब है कि गुरुवार के दिन से ही मानसून सेशन की शुरुआत होने वाली है.