नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने संसद में मंगलवार को सरकार और उद्योगपति गौतम अडाणी पर तिखी टिप्पणी की. राहुल गांधी ने संसद में दिए अपने भाषण में कहा कि पीएम मोदी गौतम अडाणी के व्यापार को हर क्षेत्र में समर्थन दे रहे हैं. हालांकि, बीजेपी ने राहुल गांधी के इन आरोपों को गलत बताया है. राहुल गांधी ने सदन में कहा कि अडाणी जी किसी भी व्यापार में असफल नहीं होते. चाहे बात सौर ऊर्जा की हो या फिर पवन ऊर्जा की.लोगों ने मुझसे भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूछा कि आखिर ऐसा कैसे संभव हो पा रहा है कि अडाणी को अलग-अलग क्षेत्र के कारोबार में इतनी सफलता मिल रही है. उनका पीएम मोदी के साथ क्या संबंध हैं.
राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि अडाणी को उन देशों में भी ठेके मिल जहां का दौरान पीएम मोदी ने किया. राहुल गांधी ने कहा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि आखिर कैसे 2014 से 2022 के बीच अडानी की नेटवर्थ 8 अरब डॉलर से बढ़कर 140 अरब हो गई.राहुल गांधी ने आगे कहा कि 2014 में अडाणी अमीर होने के मामले में 600 वें स्थान पर थे, जो कुछ समय पहले तक दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अडाणी को 6 एयरपोर्ट का ठेका देने के लिए नियमों में भी बदलाव किएराहुल गांधी के इस बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को सिर्फ बेतूका आरोप नहीं लगाना चाहिए, उन्हें चाहिए की वो सबूत पेश करें. अब आप एक वरिष्ठ सांसद हैं, ऐसे में चाहिए कि आप जिम्मेदारी के साथ बयान दें. हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप संसद के अंदर गंभीरता से बात करेंगे. भले ही आप संसद के बाहर कुछ भी बोलें. बीजेपी के सासंद ने कहा कि देश में निजीकरण की शुरुआत कांग्रेस के शासन में हुआ था.
कांग्रेस ने सौर ऊर्जा और एयरपोर्ट के ठेकों को जीवीके जैसी कंपनियों को सौंपा था. ये वो कंपनी थी जिनके पास उस तरह का काम करने का कोई अनुभव नहीं था. भाजपा नेताओं ने पिछले साल कांग्रेस शासित राज्य में “Invest Rajasthan Summit” में अडाणी के 65,000 करोड़ रुपए के निवेश के वादे का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गांधी को “अशोक गहलोत-अडाणी के संबंधों” के बारे में भी बोलना चाहिए.गौरतलब है कि उद्योगपति गौतम अडानी के समूह ने वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को ‘‘भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला” बताते हुए कहा था कि आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं” हैं. अडानी समूह ने 413 पन्नों के जवाब में कहा था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘‘मिथ्या धारणा बनाने” की ‘‘छिपी हुई मंशा” से प्रेरित है, ताकि अमेरिकी कंपनी को वित्तीय लाभ मिल सके.समूह ने कहा था कि यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता तथा भारत की विकास गाथा एवं महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’इसने कहा था कि हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं” हैं. समूह ने कहा था कि ये दस्तावेज ‘‘चुनिंदा गलत सूचनाओं एवं छुपाकर रखे गए तथ्यों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन हैं.’