16 दिसंबर 2012 का निर्भया कांड अधिकतर लोगों को याद है. निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले हैवान फांसी पर लटक चुके हैं. लेकिन वैसी ही यातना झेलने वाली एक और बेटी का परिवार अब भी इंसाफ के इंतज़ार में है. यह घटना 9 फरवरी 2012 की है. 19 साल की लड़की का अपहरण कर उसके साथ गैंग रेप करने और फिर बेहद क्रूरता से हत्या कर देने वाले 3 दोषियों की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. निचली अदालत और हाई कोर्ट में मुकदमे के दौरान लड़की को ‘अनामिका’ कहा गया. दोनों ही अदालतों ने दोषियों को मौत की सज़ा देने का आदेश दिया.
दिल दहला देने वाली घटना
मूल रूप से उत्तराखंड की ‘अनामिका’ दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के छावला के कुतुब विहार में रह रही थी. 9 फरवरी 2012 की रात नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद ने उसे जबरन अपनी लाल इंडिका गाड़ी में बैठा लिया. 3 दिन बाद उसकी लाश बहुत ही बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत मे मिली. बलात्कार के अलावा उसे असहनीय यातना दी गई थी. उसे कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया, उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन फोड़े गए, सिगरेट से दागा गया. यहां तक कि उसके स्तन को भी गर्म लोहे से दागा गया, निजी अंग में औजार और शराब की बोतल डाली गई. उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया.
लड़की के अपहरण के समय के चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने लाल इंडिका गाड़ी की तलाश की. कुछ दिनों बाद उसी गाड़ी में घूमता राहुल पुलिस के हाथ लगा. उसने अपना गुनाह कबूल किया और अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी जानकारी दी. तीनों की निशानदेही पर ही पीड़िता की लाश बरामद हुई. डीएनए रिपोर्ट और दूसरे तमाम सबूतों से निचली अदालत में तीनों के खिलाफ केस निर्विवाद तरीके से साबित हुआ. 2014 में पहले निचली अदालत ने मामले को ‘दुर्लभतम’ की श्रेणी का मानते हुए तीनों को फांसी की सज़ा दी. बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा.
सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई
गुरुवार को जस्टिस यु यु ललित, एस रविन्द्र भाट और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने दोषियों की अपील पर सुनवाई की. दिल्ली सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने फांसी की सज़ा की पुष्टि की मांग की. उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ अकल्पनीय दरिंदगी हुई. इस तरह के शैतानों के चलते ही परिवारों को अपनी लड़कियों के बाहर जा कर पढ़ाई करने या काम करने पर रोक लगानी पड़ती है.
मामले में एमिकस क्यूरी बनाई गई वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने जजों से अनुरोध किया कि वह इन दोषियों में सुधार आने की संभावना पर विचार करे. उन्होंने कहा कि दोषियों में से एक ‘विनोद’ बौद्धिक अक्षमता से पीड़ित है. वह ठीक ढंग से सोच-विचार नहीं कर पाता. वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से दोषियों के प्रति सहानुभूति भरा रवैया अपनाने का आग्रह किया.