राज्यसभा सदस्य व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी शिक्षक भर्ती नियमावली में 12 दिन के भीतर नौ बार हुए संशोधन को लेकर नीतीश सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षकों से लेकर कॉलेज के सहायक प्राध्यापकों तक की नियुक्ति में अराजकता फैलाकर नीतीश कुमार ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था का पूरा बंटाधार कर दिया।
भाजपा नेता ने कहा कि चार लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों में से मात्र 1200 लोगों ने ही आवेदन किया है। यह साबित करता है कि नई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के प्रति लोगों में कितना आक्रोश है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार उदारता दिखाएं और सभी नियोजित शिक्षकों को बिना परीक्षा लिए राज्यकर्मी का दर्जा दें।सुशील मोदी ने पूछा, ”नीतीश कुमार बताएं कि 12 दिन के भीतर नौ बार नियमावली में संशोधन क्यों करना पड़ा?”
उन्होंने कहा कि विज्ञापन प्रकाशित होने के महीने भर बाद सरकार आवासीय (डोमिसाइल) मुद्दे पर सफाई दे रही है। मुख्यमंत्री बताएं कि किसके कहने पर बार-बार नियम बदले गए? यदि पहले भी बाहरी अभ्यर्थियों को बिहार की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी गई थी, तो यह घोषणा 30 मई के पहले विज्ञापन में ही क्यों नहीं की गई?
सुशील मोदी ने कहा कि आवासीय प्रमाणपत्र बनवाने में हजारों छात्रों के लाखों रुपये जो बर्बाद हो गए, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार देने के बजाय कभी श्रीरामचरितमानस तो कभी ड्रेस कोड का मुद्दा उठाकर ध्यान भटकाना चाहती है।