कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू के ‘आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं’ वाले बयान पर पलटवार किया है. केंद्र और न्यायपालिका के बीच जारी गतिरोध के बीच रिजिजू ने कॉलिजियम का विरोध किया था और कहा था कि कार्यपालिका और न्यायपालिका को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है और आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं है. इसी का पलटवार करते हुए खरगे ने कहा कि एक जज की रहस्यमयी मौत, जजों के अहम फैसले से पहले अर्जेंट ट्रांसफर को देश भूला नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके बावजूद कानून मंत्री लेक्चर दे रहे हैं कि “आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं है.”
खरगे ने यह भी कहा कि संविधान आज फंडामेंटल क्राइसिस से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि संस्थानों में आरएसएस की पहुंच की वजह से यह संकट पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार खुद और इसके संस्थानों ने आरएसएस के सामने घुटने टेक दिए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने यह तक कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो सोशल सर्विसेज के नाम पर समाज में नफरती प्रोपेगेंडा फैला रहा है.
बीजेपी-आरएसएस को सिर्फ हिंसा दिखता है
मल्लिकार्जुन खरगे ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी आरएसएस के लिए अल्टरनेटिव के रूप में हिंसा सबसे पहले है. उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक तौर पर और संस्थानों में बच्चों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि, “सभी सार्वजनिक क्षेत्रों में नैतिक निगरानी है. निजता को समाप्त किया जा रहा है. नागरिकों और नागरिक समाज पर अपनी आवाज उठाने के लिए सत्ता के टॉप लोगों द्वारा निर्दयता से हमला किया गया है.”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों के दुरुपयोग, एससी/एसटी के खिलाफ हमले की निंदा करते हुए, मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा, “हम एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गए हैं जहां न सिर्फ लोगों के बीच बल्कि सरकारों और राज्यों के बीच भी टकराव बढ़ रहा है.”
किरेन रिजिजू ने कॉलिजियम का किया विरोध
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम सिस्टम को एलियन बताया था. उन्होंने उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिसमें सरकार पर जजों की नियुक्ति में देरी के आरोप लगते हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज कई बार कह चुके हैं कि कॉलिजियम की सिफारिशों के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी की जाती है. रिजिजू ने कहा कि ‘फिर आपको खुद ही नियुक्ति कर लेनी चाहिए. आप खुद नियुक्ति करते हैं…सरकार को फाइल मत भेजिए.’