किसी भी देश की छोटी से छोटी घटना आज पूरी दुनिया में फैल जाती है. ये ताकत है सोशल मीडिया (Social Media) की लेकिन हर ताकत के दो पहलू होते हैं एक अच्छा और एक बुरा. सोशल मीडिया धीरे-धीरे और ज्यादा ताकतवर हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र (United Nation) के प्रमुख एंतोनियो गुतरेस (Antonio Guterres) ने इस पर चिंता जताई है. इतनी ही नहीं उन्होंने इन्हें रेगुलेट करने के लिए एक ग्लोबल तंत्र का सुझाव दिया है.
यूनाइटेड नेशन के प्रमुख एंतोनियो गुतरेस ने कहा है कि सोशल मीडिया की लगातार बढ़ती ताकत से वो चिंतित है. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि इन कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए एक ग्लोबल तंत्र बनाए जाने की जरूरत है. UN प्रमुख गुतरेस गुरुवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के लिए 2021 की प्राथमिकताओं को लेकर चर्चा कर रहे थे.
ग्लोबल तंत्र की जरूरत
सोशल मीडिया कंपनियों की बढ़ती ताकत को लेकर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हम एक ऐसी दुनिया में नहीं रह सकते जहां कुछ कंपनियों को ही सारी ताकत हासिल हो. उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसे ग्लोबल तंत्र का निर्माण करना चाहिए जिसमें नियम और एक रेगुलेटर्स बॉडी हो जो किसी कंपनी को कानून के अनुसार काम करने की अनुमति दे.
यूएन चीफ से पूछा गया था कि क्या 6 जनवरी को अमेरिका में हुए दंगों के बाद ट्विटर द्वारा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड करने का फैसला सही था? ये सवाल इसलिए भी पूछा गया था कि क्योंकि अकाउंट सस्पेंड किए जाने के बाद ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी कह चुके हैं कि कैपिटल हिल की घटना के बाद ट्रंप के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाना एक सही फैसला था.
सबसे बड़ी चिंता डेटा की सुरक्षा
मालूम हो कि 6 जनवरी को अमेरिकी संसद भवन में कांग्रेस की बैठक में इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती और जो बाइडेन के राष्ट्रपति के तौर पर औपचारिक घोषणा की कार्यवाही चल रही थी. इस दौरान ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल पर हमला बोल दिया था. इसके बाद हुए दंगों में पांच लोग मारे गए थे. घटना के बाद ट्रंप कई सोशल मीडिया कंपनियों के निशाने पर आ गए थे. फेसबुक ने भी ट्रंप का अकाउंट ब्लॉक कर दिया था.
उन्होंने कहा कि मेरी चिंता उस ताकत को लेकर है जो उनके पास पहले से है. निजी डेटा का इस्तेमाल सिर्फ व्यावसायिक फायदों के लिए नहीं किया जा सकता. हमारे बारे में जुटाई जा रही जानकारी पर हमारा ही नियंत्रण नहीं है. गुतेरस ने कहा कि असल चिंता इस बात की है कि कंपनियों द्वारा जुटाए गए डेटा का इस्तेमाल राजनीतिक रूप से लोगों को प्रभावित करने या उन्हें नियंत्रण में करने के लिए भी हो सकता है.