सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आर्थिक सुधारों के जरिए देश को नई दिशा देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंगलवार को प्रशंसा करते हुए कहा कि इसके लिए देश उनका ऋणी है. गडकरी ने टीआईओएल पुरस्कार 2022 समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने भारत को एक नई दिशा दिखाने का काम किया. उन्होंने पोर्टल टैक्सइंडियाऑनलाइन की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि उदार अर्थव्यवस्था के कारण देश को नई दिशा मिली. उसके लिए देश मनमोहन सिंह का ऋणी है.
गडकरी ने मनमोहन की नीतियों से नब्बे के दशक में महाराष्ट्र की सड़कों के लिए पैसे जुटाने में मिली मदद का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की तरफ से शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की वजह से वह महाराष्ट्र का मंत्री रहने के दौरान इन सड़क परियोजनाओं के लिए धन जुटा पाए थे. गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को एक उदार आर्थिक नीति की जरूरत है जिसमें गरीबों को भी लाभ पहुंचाने की मंशा हो. उन्होंने कहा कि उदार आर्थिक नीति किसानों एवं गरीबों के लिए है.
हाईवे के निर्माण के लिए NHAI आम आदमी से भी पैसे जुटा रहा: गडकरी
उन्होंने उदार आर्थिक नीति के माध्यम से देश का विकास करने में चीन को एक अच्छा उदाहरण बताया. गडकरी ने भारत के संदर्भ में कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए देश को अधिक पूंजीगत निवेश की जरूरत होगी. उन्होंने अपने मंत्रालय की तरफ से देशभर में किए जा रहे 26 एक्सप्रेसवे के निर्माण का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें उन्हें पैसे की कमी का सामना नहीं करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राजमार्गों के निर्माण के लिए आम आदमी से भी पैसे जुटा रहा है.
गडकरी के मुताबिक, 2024 के अंत तक एनएचएआई का टोल से मिलने वाला राजस्व बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा जो फिलहाल 40,000 करोड़ रुपए सालाना है.
भारत दुनिया को आगे की राह दिखाएगा: मनमोहन सिंह
इसी कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने कहा कि मीडिया को चौकन्ना रहने की जरूरत है और उसे शासन की दक्षता को बेहतर करने के लिए सरकार की कमियों को उजागर करना चाहिए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत तेजी से बढ़ेगा और दुनिया को परंपरा तथा आधुनिकता के सम्मिश्रण के जरिए आगे की राह दिखाएगा. उन्होंने यह उल्लेख किया कि भारतीयों की पूरी एक नयी पीढ़ी उभरी है, जो आकांक्षी है और बेहतर कामकाज करने तथा पारदर्शी होने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा रहा है.
1991 में भारत कई चुनौतियों का सामना कर रहा था: मनमोहन सिंह
सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि वह एक (आर्थिक) संकट के बीच राजनीति में आए थे. वर्ष 1991 में भारत बाहरी मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा था. उन्होंने कहा कि आपमें से ज्यादातर को 1990-91 सिर्फ भुगतान संतुलन का संकट याद होगा. लेकिन इस संकट की पृष्ठभूमि में कहीं अधिक बड़ी चुनौती थी और वह थी- वैश्विक द्विध्रुवीय व्यवस्था का टूटना. सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री के तौर पर उन्हें न सिर्फ राजकोषीय घाटे में कमी लाना था और आर्थिक वृद्धि में नई जान फूंकनी थी, बल्कि रुपए (के डॉलर के मुकाबले मूल्य) को भी स्थिर करना था तथा पर्याप्त विदेशी मुद्रा लाना था.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कम हुई गरीबी: थरूर
उन्होंने कहा कि उस नाजुक समय में, मैंने कहा था कि आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने के विचार को मूर्त रूप देने का वक्त आ गया है. वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने समता और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए राष्ट्र के हितों की रक्षा की. कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के कार्यकाल के दौरान एक करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाया गया.