दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को ‘‘चिंताजनक’’ करार दिया और दिल्ली सरकार को जांच संबंधी रणनीति पर पुन: काम करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर आनंद विहार, कश्मीरी गेट और सराय काले खां जैसे अंतरराज्यीय बस अड्डों पर कोविड-19 जांच केंद्र स्थापित करे जिससे कि विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में राजधानी लौट रहे प्रवासी मजदूरों की जांच की जा सके.
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को चिंताजनक करार दिया और जांच रणनीति पर सरकार से पुन: काम करने को कहा.
इस बीच, उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से पूछा कि जब 14 हजार आरटी/पीसीआर जांच करने की अनुमति है तो फिर उन लोगों पर प्रतिबंध क्यों है जो खुद के खर्च से अपनी इच्छा के हिसाब से जांच कराना चाहते हैं.
इस पर, आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. निवेदिता गुप्ता ने कहा कि यह एक परामर्श था और यदि राज्य चाहें तो स्थिति के हिसाब से जांच संख्या बढ़ा सकते हैं, इसमें उन्हें कोई समस्या नहीं है. अदालत को बताया गया कि दिल्ली में दूसरा सीरो सर्वेक्षण किया गया है और इसकी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को अभी मिलनी बाकी है.
पहले सीरो सर्वे की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अदालत ने कहा कि दिल्ली की बड़ी आबादी में लक्षणमुक्त संक्रमण दिखा है और इसी आबादी की वजह से बीमारी का खामोशी से प्रसार हो रहा है. अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह दूसरे सीरो सर्वे के विश्लेषण के साथ स्थिति रिपोर्ट दायर करे. मामले में अगली सुनवाई आठ सितंबर को होगी. अदालत अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी