बिल्कुल अलग है जातिगत जनगणना पर कांग्रेस का असली चेहरा, जानें नेहरू-इंदिरा से लेकर UPA तक का रुख

कांग्रेस जातिगत जनगणना को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रही है. कांग्रेस की मांग है कि 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं और बताया जाए कि देश में ओबीसी कितने हैं. इसके साथ ही आरक्षण से 50% कैप हटाया जाए. आबादी के अनुसार आरक्षण दिया जाना चाहिए. इसी के साथ कांग्रेस का दोहरापन सामने आ गया है.

दरअसल, इसी जातिगत जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अव्यावहारिक करार दिया था. यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू भी जातिगत जनगणना के खिलाफ थे.

जाति आधारित जनगणना को लेकर पहली बार 1951 में चर्चा हुई थी, तब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. वो नहीं चाहते थे कि देश में जातिगत जनगणना हो. उनका मानना था कि आजाद भारत की पहली जनगणना जाति आधारित नहीं होनी चाहिए. उनका कहना था कि सशक्तिकरण शिक्षा के माध्यम से होना चाहिए, न कि आरक्षण के माध्यम से.

नेहरू ने 27 जून 1961 को सभी मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा था, इसमें उन्होंने आरक्षण की खिलाफत की थी. वो कहते हैं कि हमें आरक्षण की पुरानी आदतों से बाहर निकलना होगा. मैं हर प्रकार के कोटा को नापसंद करता हूं, खासकर की नौकरियों में जो दिया जाता है.

आजादी के बाद नेहरू सरकार ने जातिगत जनगणना की मांग खारिज कर दी थी. 1981 जनगणना में इंदिरा गांधी सरकार ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को ठुकरा दिया. इंदिरा ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया और बाद में राजीव गांधी ने भी ऐसा ही करना जारी रखा.

राजीव ने मंडल आयोग को कीड़ा तक कह दिया. उन्होंने मंडल आयोग को देश के लिए विभाजनकारी बताया. इसके बाद 2010 में जातिगत जनगणना के लिए मंत्रियों का समूह बना. इसकी नेतृत्व प्रणब मुखर्जी कर रहे थे. 2010 में इस पर कोई फैसला नहीं हो सका. कैबिनेट इस पर बंटा हुआ था. ये भी कहा जाता है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता इसके खिलाफ थे.

इसी साल कांग्रेस सरकार ने संसद में जातिगत जनगणना को अव्यावहारिक कहा. पी चिदंबरम ने नेहरू के विचार से वीरप्पा मोइली को भी अवगत कराया. ये मसला प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के भी संज्ञान में लाया गया. कई अन्य कांग्रेस नेताओं ने तब खुलकर इसका विरोध किया था.

कांग्रेस सांसद प्रिया दत्त ने तब कहा था कि जातिगत आरक्षण देश को 50 साल पीछे ले जाएगा. 2018 में सिद्धारमैया ने कर्नाटक चुनाव से पहले जाति आधारित जनगणना के निष्कर्षों को जारी नहीं किया था.

2011 में जातिगत जनगणना हुई, लेकिन कांग्रेस ने 3 साल तक इसके डेटा जारी नहीं किए. इन सभी बातों से समझा जा सकता है कि कांग्रेस जातिगत जनगणना पर दोहरा रुख अपना रही है.

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