नई दिल्लीः कानूनविद और वकीलों के बीच काम करने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद “समान नागरिक संहिता” (UCC) और “समलैंगिक विवाह” जैसे अहम और गंभीर मुद्दों के अध्ययन के लिए अधिवक्ताओं के एक खास समूह की स्थापना करेगा.
इन अहम मसलों को लेकर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद देश में कानूनविदों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाना शुरू कर चुका है और सूत्रों के मुताबिक अधिवक्ता परिषद वकीलों का एक इन-हाउस समूह भी बनाएगा जो संघ और उसकी विचारधारा से जुड़े तमाम मुकदमों और मुद्दों की देखरेख करेगा.
संघ के इस अनुसांगिक संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के कामकाज को विस्तार देने के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है जिसके मुताबिक लिटिगेशन, थिंक टैंक, ऑर्गनाइजेशन, आउटरीच, सामाजिक मुद्दों और इंटरनेशनल कन्वेंशन के लिए अलग-अलग 5 ग्रुप तैयार किए जाएंगे.
जिला स्तर पर न्यायालयों तक पहुंच बनाने की कोशिश
मिली जानकारी के मुताबिक वैचारिक रूप से संघ से जुड़े हुए वकीलों की एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा जो सामान्य वकीलों खासकर न्यायपालिका को समाज के प्रति उसकी जवाबदेही निश्चित करने के लिए आउटरीच प्रोग्राम चलाएगा.
इतना ही नहीं बल्कि अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद अब अपनी पैठ जिला स्तर के न्यायालयों में बढ़ाने के लिए प्रयास करेगा जिससे डिस्ट्रिक्ट लेवल पर परिषद को मजबूती और पूर्णकालिक संगठन का विकास हो सके.
परिषद अपने घरेलू वकीलों का एक भारी भरकम ‘लिटिगेशन’ ग्रुप तैयार करेगा जिसके जरिए संघ के तमाम अधिकारियों और राम मंदिर सरीखे उसकी विचारधारा से जुड़े हुए कई अन्य मुद्दों को देखेगा.
उसी तरह से यूसीसी और समलैंगिक विवाह जैसे ज्वलंत मुद्दों पर अध्ययन के लिए एक थिंक टैंक बनाया जाएगा जिसमें नामी गिरामी वकीलों की भरमार होगी. वकीलों का यह समूह विभिन्न कानूनों का गहन अध्ययन भी करेगा और उपयुक्त समय आने पर राजनीतिक अधिकारियों को अपना महत्वपूर्ण सुझाव भी रखेगा.
कानूनविदों की टीम की स्थापना
बहरहाल अधिवक्ता परिषद के अंतर्गत काम करने वाली “न्याय केंद्र” सरीखे वकीलों की संस्था मौजूद है जो मुफ्त कानूनी सहायता, लोगों के बीच ‘कानूनी जागरूकता’, ‘जनहित याचिका’ जैसे संघ के दिल के करीबी मुद्दों पर जागरूकता फैलाएगा.
संघ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक राम जन्मभूमि केस के बाद,आरएसएस ने ये महसूस किया कि देश के तमाम अदालतों में वैचारिक मुद्दों को देखरेख करने के लिए एक इन-हाउस कानूनविदों की टीम की स्थापना की जानी चाहिए.
इस तरह से अधिवक्ता परिषद के जरिए संघ परिवार ने अदालतों और कानूनविदों की बिरादरी में टॉप टू बॉटम आउटरीच चलाने का निर्णय ऐसे समय लिए गए हैं जब अनेकों अदालती निर्णय और मामलों को चुनौती दिए जा रहे हों. संघ परिवार का ऐसा मानना है कि उसकी ये उसकी साधारण कोशिश है कि उसे किसी भी अदालती मामलों में पूर्वाग्रह या धारणा की चुनौती का सामना न करना पड़े.