बेंगलुरु: कर्नाटक में अब चड्डी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में जंग छिड़ गई है. इस पर सियासत जोर शोर से की जा रही है. विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने आरएसएस (RSS) का विरोध करने के लिए खाकी निकर जलाया तो बीजेपी (BJP) और आरएसएस के कार्यकर्ता भड़क गए और चड्डी कैंपेन ही शुरू कर दिया. RSS कार्यकर्ता खाकी शॉर्ट्स यानी निकर पहनते हैं और इसे जलाने के मसले पर नाराज हैं. इस मसले को लेकर राज्य में बड़े पैमाने पर बहस छिड़ी हुई है.
दरअसल कर्नाटक (Karnataka) में कांग्रेस ने खाकी निकर जलाकर बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ता नाराज हो गए. बीजेपी कार्यकर्ता अब बेंगलुरू स्थित कांग्रेस कार्यालय में भेजने के लिए चड्डी इकट्ठा कर रहे हैं. बेंगलुरु में कांग्रेस मुख्यालय में भेजना भी शुरू कर दिया गया है. बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये चड्डी पूर्व सीएम सिद्धारमैया को गिफ्ट किया जाएगा.
बीजेपी और कांग्रेस के बीच चड्डी विवाद
कर्नाटक में चड्डी विवाद बढ़ने के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि कांग्रेस RSS के खिलाफ बदनामी का अभियान चला रही है, लेकिन जनता को सबकुछ पता है. उन्होंने कहा कि RSS एक देशभक्त और राष्ट्रवादी संगठन है जो समाज सेवा के काम में जुटा हुआ है. कर्नाटक में ‘चड्डी’ विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी क्या बोले?
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों ने उनकी ‘चड्डी’ छीन ली है. जोशी ने विजयपुर में कहा कि क्योंकि लोगों ने इनकी चड्डी उतार दी है, वे आरएसएस की चड्डी जला रहे हैं. उत्तर प्रदेश के लोगों ने पूरे देश के सामने कांग्रेस की चड्डी उतार दी है. असम में भी यही हाल हुआ. अब राजस्थान में पायलट और अन्य लोगों की पार्टी के साथ चड्डी ढीली हो गई है. छत्तीसगढ़ , मध्य प्रदेश हर जगह कांग्रेस ने अपनी चड्डी खो दी है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के कुछ सदस्यों ने राज्य में स्कूली पाठ्यपुस्तकों के कथित “भगवाकरण” के खिलाफ राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के आवास के बाहर खाकी शॉर्ट्स जलाए. इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा RSS के खिलाफ नए सवाल उठाने के बाद कर्नाटक में चल रहे पाठ्यपुस्तक संशोधन विवाद तेज हो गया. उन्होंने कहा कि आरएसएस एक गैर-धर्मनिरपेक्ष संगठन है. क्या दलित, ओबीसी या अल्पसंख्यक समुदाय का कोई सदस्य कभी सरसंघचालक बना है?