यूपी उपचुनाव: सपा के कब्जे वाली सीटों पर ज्यादा वोटिंग, फिर भी क्यों टेंशन में अखिलेश यादव?

उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं, लेकिन हार-जीत के गणित में राजनीतिक पंडित उलझे हुए हैं. सियासी समीकरण के चलते सपा वोटिंग से पहले जिन सीटों पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी, अब उन्हीं सीटों पर उसे हार का खतरा मंडराने लगा है. उपचुनाव में सपा के कब्जे वाली विधानसभा सीटों पर दूसरी अन्य सीटों की तुलना में ज्यादा वोटिंग हुई है. इसके बावजूद सपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मीरापुर, कुंदरकी, सीसामऊ और कटेहरी सीट पर दोबारा से वोटिंग कराने की मांग उठाई है. ऐसे में सवाल उठता है कि ज्यादा वोटिंग के बाद भी सपा की सियासी टेंशन क्यों बढ़ गई है और उपचुनाव की दोबारा मांग कर रही है?

यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के दौरान सबसे ज्यादा वोटिंग कुंदरकी सीट पर हुई है. कुंदरकी सीट पर 57.7 फीसदी मतदान रहा है. ऐसे ही मीरापुर सीट पर 57.1 फीसदी, कटेहरी में 56.9 फीसदी, करहल में 54.1 फीसदी, सीसामऊ में 49.1 फीसदी मतदान रहा. गाजियाबाद में 33.3 फीसदी, खैर में 46.3 फीसदी, फूलपुर में 43.4 फीसदी और मझवां में 50.4 फीसदी मतदान हुआ.

ज्यादा वोटिंग के बाद भी सपा की बढ़ी टेंशन
उपचुनाव में सपा के कब्जे वाली सभी सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा वोटिंग रही जबकि बीजेपी के कब्जे वाली सीट पर 50 फीसदी से कम मतदान रहा. मीरापुर सीट पर आरएलडी 2022 में सपा के समर्थन से जीती थी. कुंदरकी में 62 फीसदी, मीरापुर में 40 फीसदी, सीसामऊ में 50 फीसदी मुस्लिम वोटर होने के चलते सपा का दबदबा रहा है. करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सीट पर सपा के विधायक बन रहे हैं. इसके चलते ही कहा जा रहा था कि सपा की इन सीट पर बीजेपी के लिए जीतना बहुत मुश्किल है. उपचुनाव में ऐसा क्या हो गया कि अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ गई. सपा के जीत के दावे शिकायत के सुर में बदल गए हैं.

कुंदरकी सीट से सपा उम्मीदवार हाजी रिजवान ने एक चिट्ठी लिखकर चुनाव आयोग से उपचुनाव को रद्द करने और फिर से सभी बूथों पर पुर्नमतदान कराने की मांग की है. इतना ही नहीं सपा के राष्ट्रीय महासिचव प्रो. रामगोपाल यादव ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए चार सीटों पर दोबारा से वोटिंग कराने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि मीरापुर, कुंदरकी, सीसामऊ और कटेहरी सीट पर पुलिस ने जो किया वह लोक तंत्र के लिए खतरे की घंटी है. इन सीटों पर बंदूक की नोक पर मुस्लिमों को वोट डालने से रोका गया, जिसके लिए उपचुनाव रद्द हो और अर्ध सैनिक बलों के देख-रेख में दोबारा चुनाव हो. उपचुनाव रद्द हो या न हो, लेकिन सपा की टेंशन बढ़ गई है. सपा नेताओं ने जिस तरह चुनाव आयोग से शिकायत की और उसके जरिए यह बताने की कोशिश हो रही है कि वोटिंग के दौरान गड़बड़ी हुई है. हालांकि, जब भी इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं तो फिर यह नेरेटिव बनता है कि जो हार रहा होता है, वो इस तरह आरोप लगाता है. बीजेपी के द्वारा यह कहा जाने लगा है कि उपचुनाव में सपा साफ है. सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि उपचुनाव के साथ ही सपा की सियासी चुनौती बढ़ गई है.

मीरापुर, कुंदरकी सीट पर बटा मुस्लिम वोटर
मीरापुर में आरएलडी और कुंदरकी में बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. मीरापुर में आरएलडी ने मिथलेश पाल और कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने ठाकुर रामवीर सिंह को उतारा था. बीजेपी ने दावा किया है कि मीरापुर में उनके उम्मीदवार को मुस्लिम समुदाय ने भी अच्छा खासा वोट दिया है. इसके अलावा मुस्लिम वोट सपा, बसपा, आसपा और AIMIM के बीच बटा है. हाजी रिजवान के मुस्लिम तुर्क समाज से होने की वजह से दूसरी मुस्लिम बिरादरियां उनके साथ नहीं जुड़ सकी. खासकर मुस्लिम राजपूत वोटर बीजेपी के पक्ष में लामबंद नजर आए, क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर लगातार उन पर फोकस कर रहे हैं.

मीरापुर विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम वोटर विपक्षी दलों के बीच बटा है. मुस्लिम बहुल गांव ककरौली, सीकरी, मीरापुर,जटवाड़ा, जौली में मुस्लिम वोट सपा, बसपा और आसपा के बीच बंटते नजर आए. सपा प्रत्याशी सुंबुल राणा मुस्लिम रांगड़ समाज से आती हैं तो बसपा के शाहनजर मुस्लिम झोझा है. रांगड़ बनाम झोझा मुस्लिम के बीच चुनाव बन रहा था. हालांकि, ककरौली में पथराव के बाद मुस्लिम समुदाय जरूर सपा के पक्ष में लामबंद दिखे, लेकिन प्रशासन की सख्ती ने उनकी वोटिंग की रफ्तार को धीमा किया.

सीसामऊ में हुई सख्ती, वोटिंग पर पड़ा असर
सीसामऊ विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर भले ही न बंटे हो, लेकिन प्रशासन की सख्ती के चलते मुस्लिम बहुल बूथों पर वोटिंग उम्मीद के मुताबिक नहीं हो सकी है. सीसामऊ में वोटिंग के दिन ग्वालटोली क्षेत्र के मकबरा में चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता रोके जाने से नाराज लोगों ने पुलिस पर मतदाताओं को मतदान से रोकने का आरोप लगाया और हंगामा किया. इसी तरह कई जगह मामले सामने आए हैं, जिसके चलते सपा की राह मुश्किल हो गई है.

करहल में सपा ने फर्जी वोटिंग के लगाए आरोप
करहल में कई जगह फर्जी मतदान के आरोप लोगों ने लगाए. इतना ही नहीं मुस्लिम मतदाताओं को रोकने की तमाम शिकायतें आईं. कई बूथ एजेंटों को पुलिस उठा ले गई और उनके बस्ते उजाड़ दिए. इसके अलावा सपा प्रत्याशी का सजातीय वोट कुर्मी समाज बसपा और सपा के बीच बंटता हुआ नजर आया. इसके अलावा यूपी उपचुनाव में हिंदू मतदाताओं वाले इलाकों में जमकर वोटिंग हुई है जबकि मुस्लिम उम्मीदवारों वाले इलाकों में वोटिंग नहीं हुई है.

मुस्लिम वोट का बंटवारा बना सपा के लिए टेंशन
यूपी उपचुनाव में करहल, कुंदरकी, सीसामऊ सीट पर बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला था तो मीरापुर सीट पर आरएलडी और सपा में सीधी टक्कर मानी जा रही थी. ऐसे में मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता दिखा है, जिसके चलते सपा की सियासी टेंशन बढ़ गई है. मुस्लिम वोट के बंटवारे से ही बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है. इसके अलावा सपा नेताओं के द्वारा आरोप लगे कि प्रशासन ने उनके समर्थक मतदाताओं को बूथ तक नहीं जाने दिया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वोटिंग से एक दिन पहले ही कह दिया था कि यह उपचुनाव आजादी के बाद के सबसे कठिन उपचुनावों का गवाह बनने जा रहा है. यह उपचुनाव नहीं हैं बल्कि यूपी के भविष्य का रुख तय करेगा. अखिलेश यादव ने उपचुनाव को सबसे कठिन इलेक्शन बताया था और आखिरकार सपा के लिए वकायी मुश्किल का चुनाव बन गया है, क्योंकि 2022 में जीती हुई सीटें उसके हाथों से निकलती दिख रही है.

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