लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामना आया है. बाराबंकी के सिरौली ग़ौसपुर इलाके के सरकारी अस्पताल के बाहर एक बाप अपनी पांच महीने की बच्ची का शव गोद में लिए फूट फूट कर रोता रहा. पीड़ित पिता का इल्ज़ाम है कि वह अपनी बच्ची को इलाज के लिए वहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गया, लेकिन वहां कोई डॉक्टर नहीं था. हालांकि, प्रशासन की ओर से दावा किया गया है कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने अटेंड किया तो पता चला कि वे लोग जिस बच्ची को लेकर आये थे वह ज़िंदा नहीं थी.
पीड़ित पिता ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाद वह बगल में कोविड अस्पताल की इमरजेंसी में गया. वहां भी कोई डॉक्टर नहीं थे. दो घंटे तक वह अपनी बच्ची को गोद में लिए भटकता रहा. बच्ची की मौत हो गयी, लेकिन उसे इलाज नहीं मिला. बच्ची के पिता संदीप कुमार शुक्ला का कहना है कि उसकी बच्ची घर में तख्त से गिर गई थी. चोट लगने से उसे बुखार आ गया था.
हालांकि, बाराबंकी के डीएम डॉ आदर्श सिंह ने ज़िले के सीएमओ बी. के. एस चौहान का बयान ट्वीट करते हुए इसे तथ्यहीन एवं निराधार बताया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि बच्ची को इलाज न मिलने की खबर ग़लत है. बच्ची को इमरजेंसी डयूटी पर तैनात डॉक्टर अनिल श्रीवास्तव और पैरामेडिकल स्टाफ ने अटेंड किया तो पता चला कि वे लोग जिस बच्ची को लेकर आये थे वह ज़िंदा नहीं थी.