आंध्र प्रदेश के होलागुंडा मंडल स्थित देवरगट्टू इलाके में दशहरे के दिन मनाए गए बन्नी उत्सव ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें करीब 60 लोग घायल हुए हैं, 4 की हालत चिंताजनक है. दरअसल यहां पर भगवान की मूर्ति को अपने साथ ले जाने के लिए छीना झपटी की जाती है, जिसमें श्रद्धालु एक-दूसरे के सिर पर लाठियों से हमला करते हैं. माला मल्लेश्वर मंदिर के निकट यह समारोह, एक दानव पर भगवान शिव की जीत को याद करने के लिए मनाया जाता है.
इस साल भी दशहरे के दिन आंध्र प्रदेश पुलिस के काफी रोकथाम के बावजूद कोरोना महामारी के नियमों को धज्जियां उड़ाते हुए बड़ी धूमधाम से बन्नी उत्सव मनाया गया. रात के करीब 12 बजे माला मल्लेश्वर मंदिर में पूजा करने के बाद यह उत्सव शुरू हुआ. यह उत्सव सुबह तक चला, जो हिंसक रूप ले लिया.
देवरगट्टू के आस-पास के करीब 11 गांवों से हजारों लोग इस प्रथा में भाग लेने के लिए आए. इन गांवों के लोग दो भागों में बंट गए थे. फिर भगवान की मूर्ति को अपने साथ ले जाने के लिए छीना झपटी शुरू हुई. फिर एक गुट दूसरे गुट के लोगों पर लाठियां बरसाने लगे. जिसकी वजह से यह उत्सव हिंसक रूप ले लिया, डंडों की चोट लगने से करीब 60 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 4 की हालत गंभीर बताई जा रही है. घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
डंडों से एक दूसरे को पीटना माना जाता है रिवाज
दशहरे के मौके पर डंडों से लड़ाई, यानि डंडों से एक दूसरे को पीटना रिवाज माना जाता है. उनके इस रिवाज के अनुसार दो गुट एक दूसरे के सिर पर वार करते हैं. हर साल सिर पर चोट लगने से कई लोग बुरी तरह घायल भी हो जाते हैं. पिछले साल भी सरकार के बैन लगाने के बावजूद बन्नी उत्सव मनाया गया था, करीब 50 लोग घायल हुए थे.
यह उत्सव में हिंसक रूप न ले ले इसके लिए सरकार की तरफ से इस बार सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी. करीब एक हजार पुलिस बल तैनात किया गया, एक अतिरिक्त एसपी के नेतृत्व में 7 डीएसपी, 23 इंस्पेक्टर, 60 सब इंस्पेक्टर, 164 असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, हेड कॉन्स्टेबल, 322 कॉन्स्टेबल, 20 महिला पुलिस, 50 विशेष पुलिस बल, तीन प्लाटून आर्म्ड रिजर्व पुलिस, 200 होम गार्ड को तैनात किया गया था. करीब 20 बेड्स, 108 एम्बुलेंस के साथ करीब 100 लोगों की डॉक्टरों की टीम के साथ फास्ट ऐड चिकित्सा की व्यवस्था भी की गई थी.