क्या है असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच 51 साल पुराना सीमा विवाद? ऐसे समझौते पर पहुंचे दोनों स्टेट्स

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच पिछले 51 सालों से चला रहा विवाद अब सुलझ गया है. जिस समय इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया उस समय दोनों राज्यों के सीएम भी मौजूद थे. दो राज्यों के बीच यह विवाद करीब 800 किलोमीटर की सीमा को लेकर था. इसके बीच में कुल 123 गांव आते हैं.

ये विवाद कोर्ट में भी था. गृह मंत्रालय के दखल के बाद अब इसे कोर्ट से बाहर सुलझा लिया गया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ये समझौता मील का पत्थर साबित होगा. सीएम ने इस समझौते का क्रेडिट पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को दिया.

वहीं अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी इसे ऐतिहासिक बताया. इस समझौते पर पहुंचने के लिए दोनों मुख्यमंत्री ने एक साल तक काम किया. उन्होंने ग्राउंड विजिट भी किया. क्षेत्रीय समितियों ने जो इनपुट दिया, उससे समझौता करने में मदद मिली.

समझौते पर अमित शाह ने कहा कि ये बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने बताया कि कैसे दोनों सरकारों ने मिलकर इस पर काम किया. असम की अरुणाचल प्रदेश के साथ 804.10 किलोमीटर की सीमा है. अरुणाचल प्रदेश 1972 में केंद्र शासित प्रदेश बना.

1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया था. दावा किया गया कि उसकी कुछ जमीन असम को दी गई है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अरुणाचल प्रदेश के 3000 वर्ग किलोमीटर का अधिक क्षेत्र असम में चला गया था.

अरुणाचल प्रदेश का लगातार मानना रहा कि इस क्षेत्र को उसके लोगों की सहमति के बिना दिया गया था. असम ने कहा है कि ये ट्रांसफर कानूनी रूप से किया गया था. एक त्रिपक्षीय समिति ने इस सीमा विवाद पर सिफारिश की थी कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल में ट्रांसफर कर दिया जाए.

लोगों का आरोप था कि एक राज्य के लोग दूसरी तरफ जाकर जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. इससे न सिर्फ विवाद बढ़ा, बल्कि हिंसा भी हुई. इसके बाद ये मामला कोर्ट पहुंचा. 1989 से ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

2021 में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने इस मामले को लेकर दोनों मुख्यमंत्रियों से बात की और इसे कोर्ट के बाहर सुलझाने को कहा. इस समझौते के बाद माना जा रहा है कि दोनों राज्यों के बीच शांति की स्थिति होगी. इसके साथ ही पूर्वोत्तर में इस तरह संघर्षों को कम करने में मदद मिलेगी.

2007 में लोकल कमीशन के सामने अरुणाचल प्रदेश ने 123 गांवों पर दावा किया था. इनमें से 71 पर समाधान हो गया है. 15 जुलाई 2022 में 37 गांवों पर नामसाई डिक्लेरेशन के तहत समाधान हो गया था और 34 गांवों पर अब हस्ताक्षर हो गए हैं.

इन 71 गांवों में से 1 अरुणाचल प्रदेश से असम में जोड़ा जाएगा. 10 गांव असम में ही रहेंगे और 60 गांव असम से अरुणाचल प्रदेश में शामिल होंगे. वहीं बाकी बचे 52 गांवों में से 49 की सीमाएं रिजनल कमेटी तय करेंगी. ये काम अगले 6 महीने में हो जाएगा, जबकि भारतीय वायु सेना के बॉम्बिंग रेंज में बसे 3 गांवों का पुनर्वास होगा.

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