PM Modi govt 8 years: भारत के 14वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को 26 मई यानी आज आठ साल पूरे हो गए। वे हमेशा अलग हटकर फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आम और खास के बीच फर्क खत्म करने का एक बड़ा फैसला अप्रैल 2017 में लिया था। यह फैसला था देश से वीआईपी कल्चर को खत्म करना। मोदी कैबिनेट ने फैसला किया कि एक मई से सरकारी वाहनों पर लाल बत्ती नहीं लगाई जा सकेगी।
1 मई 2017 से खत्म हो गया लाल बत्ती का VVIP कल्चर
नरेंद्र मोदी जो खुद को देश का चौकीदार मानते हैं, उनके विचारों में भी हर भारतीय खास है। खुद उन्होंने कहा था कि हर भारतीय VVIP है। सरकार ने VVIP वाहनों की लालबत्ती संस्कृति समाप्त करने का जो फैसला लिया था,उसके अनुसार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों सहित किसी भी VVIP के वाहन पर एक मई से लालबत्ती नहीं होगी। हालांकि एंबुलेंस और अग्निशमन जैसे आपात परिस्थितियों में काम आने वाले वाहनों में ही लाल बत्ती का इस्तेमाल करने की अनुमति कायम रखी गई।
देश में हर तबका एक जैसा और बराबरी का महत्व रखता है। इसे मोदी सरकार ने लाल बत्ती कल्चर खत्म करके दिखाया। मोदी सरकार ने यह माना कि वीआईपी संस्कृति का प्रतीक बन चुकी लाल बत्ती का लोकतांत्रिक देश में कोई स्थान नहीं है।
वर्षों से चल रही थी लाल बत्ती कल्चर खत्म करने पर बहस, मोदी सरकार ने ले लिया निर्णय
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तब मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा था कि एक मई 2017 के बाद कोई भी अपने वाहन के ऊपर लाल बत्ती नहीं लगा सकेगा। केवल आपात परिस्थितियों में इस्तेमाल होने वाले वाहनों में नीली बत्तियां लगाई जा सकेंगी।दरअसल, वाहन के ऊपर लाल बत्ती लगाने का मुद्दा काफी लंबे समय से चर्चा में रहा। कई वर्षों से यह बहस का विषय बना रहा था कि वीवीआईपी कल्चर आखिर क्यों। इस बहस को अपने निर्णय से मोदी सरकार ने खत्म कर दिया। सबसे पहले लाल बत्ती हटाने का काम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। मंत्रिमंडल की बैठक के फौरन बाद उन्होंने अपनी कार से लाल बत्ती हटा ली थी।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने की थी लाल बत्ती के सीमित उपयोग की पैरवी
दरअसल, सितबंर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में लाल बत्ती के सीमित इस्तेमाल की पैरवी की थी। इसके बाद जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई तो अपने पहले ही कार्यकाल में इस मोदी सरकार वीवीआईपी कल्चर खत् मरके हर भारतीय को बराबर अहमियत देने का महती फैसला किया।