ये राजनीति जो न करवाए. केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में कांग्रेस का समर्थन चाहते हैं. लोकसभा चुनाव के लिए तैयार हो रहे विपक्षी गठबंधन में भी शामिल हैं, लेकिन बात जब राजस्थान विधानसभा चुनाव की आती है तो पहली चुनावी सभा में ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार की बखिया उधेड़ने में कोई कसर नहीं रखते. हमला उन्होंने बीजेपी पर भी बोला, लेकिन कांग्रेस के प्रति उनके सुर ज्यादा तीखे थे. आम आदमी पार्टी का इतिहास देखें तो लगता है कि ठीक गुजरात की तरह वे राजस्थान में भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
2018 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बमुश्किल 0.4 फीसदी वोट मिले थे. गुजरात में 2017 में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी को 0.69 परसेंट वोट मिले थे. साल 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में वही आम आदमी पार्टी 12.9 फीसदी वोट ले आई. पांच एमएलए जीते. 35 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही. इसी के बाद उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल गया था. संकेत मिलने लगे हैं कि गुजरात की कहानी राजस्थान में दोहराई जा सकती है. कांग्रेस सत्ता में है.
अशोक गहलोत सीएम के रूप में खूब मेहनत भी कर रहे हैं और अनेक योजनाओं के जरिए वे जनता को लुभा भी रहे हैं. पर, उन्हें सबसे तगड़ी चुनौती अपने ही सहयोगी सचिन पायलट से मिल रही है. पिछले चुनाव में सत्ता पाने वाली कांग्रेस और विपक्ष में बैठने वाली भाजपा के वोट प्रतिशत में मामूली फर्क था. ऐसे में अगर हल्की सी भी सत्ता विरोधी लहर चली और आम आदमी पार्टी सिर्फ दो हजार वोट का औसत पा गई तो कांग्रेस का खेल बिगड़ जाएगा.
पंजाब सीमा से सटे राजस्थान के श्रीगंगानगर में आयोजित चुनावी जनसभा में केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी घेरा. गहलोत-वसुंधरा के आपसी रिश्तों को भी कठघरे में खड़ा किया. सचिन पायलट को बेचारा तक कहकर संबोधित कर दिया. केजरीवाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने राजस्थान की जनता को 300 यूनिट फ्री बिजली का वायदा किया, लेकिन अशोक गहलोत की ओर से घोषित 100 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा को बेमकसद करार दिया. केजरीवाल यहां गांव-गांव मोहल्ला क्लीनिक और स्कूल खोलने की घोषणा भी कर गए.
200 यूनिट फ्री बिजली की शुरुआत केजरीवाल ने ही की थी
केजरीवाल देश के पहले सीएम हैं, जिन्होंने 200 यूनिट फ्री बिजली की शुरुआत की. उस समय विपक्ष ने उन्हें इसके लिए घेरा भी, लेकिन आज देश के कई राज्यों में सरकारें फ्री बिजली दे रही हैं. 300 यूनिट फ्री बिजली पंजाब में मिल रही है. 300 का वायदा हिमाचल प्रदेश सरकार ने कर रखा है. छतीसगढ़, कर्नाटक में भी 200 यूनिट फ्री बिजली का कॉन्सेप्ट लागू है. कहने की जरूरत नहीं है कि पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बाकी फ्री बिजली देने वाले राज्यों में कांग्रेस की सरकार है.
आम जनता को लुभाने का काम कर रही हर सरकार
सरकारी योजनाओं के जरिए आम जनता को लुभाने का काम हर सरकार करती आ रही हैं. बस सबके रूप-स्वरूप अलग-अलग हो सकते हैं, रहे भी हैं. केंद्र सरकार की फ्री राशन योजना बीते तीन साल से चल रही है. उज्जवला योजना के तहत नौ करोड़ से ज्यादा फ्री एलपीजी कनेक्शन बांट दिए गए हैं. अब गैर भाजपाई राज्य सरकारें फ्री एलपीजी सिलेंडर देने का काम कर रही हैं. कोई त्योहारों पर एलपीजी सिलेंडर दे रहा है तो कोई राज्य चार से छह सिलेंडर फ्री देने की बातें कर रहा है.
किसानों के खाते में प्रतिवर्ष छह हजार रुपए किश्तों में केंद्र सरकार दे ही रही है. इस तरह देखा जाए तो इस मामले में सभी राज्य सरकारें समान व्यवहार कर रही हैं, लेकिन बेहद चालाकी से एक-दूसरे दलों को कोसने से बाज नहीं आते. केजरीवाल भी श्रीगंगानगर की चुनावी सभा में वही करते हुए देखे गए. वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ. उनकी आंखों में न तो कोई संकोच दिखा न ही कुछ और.
राजस्थान में पार्टी का विस्तार चाहते हैं अरविंद केजरीवाल
उनका इरादा सिर्फ और सिर्फ अपनी पार्टी का विस्तार करना है. उसके लिए सारे दांव-पेंच अपनाए जा रहे हैं. असल में केजरीवाल इन दिनों यूं भी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. दो राज्यों में सरकार है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल चुका है. ऐसे में वे नई ऊर्जा के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव लड़ना चाहते हैं. राजस्थान आम आदमी पार्टी साल 2018 में भी लड़ी थी. पूरे राज्य में कुल मिलाकर नोटा से भी कई गुना कम वोट मिले थे.
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान में नोटा के तहत 1.4 फीसदी वोट पड़े थे और आम आदमी पार्टी को 0.4 फीसदी मिले थे, लेकिन राजनेता इस मामले में बड़े मजबूत इरादों वाले होते हैं. वोट भले ही शून्य मिला हो, लेकिन आत्मविश्वास कमजोर नहीं होता. आम आदमी पार्टी को यह सच पता है कि राजस्थान में उसके लिए सरकार बनाना फिलहाल दूर की कौड़ी है, लेकिन हुंकार और अंदाज वही है, जो सरकार बनाने वाले दलों का होता है.
पंजाब से सटे इलाकों की सीटों पर AAP का फोकस
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश सिंह कहते हैं कि अभी तक जो जानकारी आ रही है, उसके मुताबिक आम आदमी पार्टी पंजाब से सटे हुए इलाकों वाली सीटों पर फोकस करके चुनाव लड़ने पर काम का रही है. बातें चाहे कोई कुछ भी करें, लेकिन पूरे राजस्थान में न तो आप का संगठन है और न ही कार्यकर्ता, लेकिन पंजाब से सटे इलाके पर वहां का असर हो सकता है. केजरीवाल उसी इलाके की कुछ सीटें इस बार जीत भी सकते हैं.
बृजेश के मुताबिक, वह इलाका यूं भी चौंकाता रहा है. श्रीगंगानगर और आसपास से अक्सर निर्दलीय एमएलए चुनकर आते रहे हैं. उन्हें कम लोग जानते रहे हैं, लेकिन एक तय इलाके में काम करके वे लोग जीतते आ रहे हैं. संभव है आम आदमी पार्टी उन जैसों पर दांव लगाकर इस बार नया प्रयोग करे. बृजेश की मानें तो केजरीवाल ने गहलोत पर हमला सिर्फ और सिर्फ राजस्थान में अपनी पहुंच बढ़ाने के इरादे से किया है. उन्हें भी पता है कि आम आदमी पार्टी राजस्थान में सरकार बनाने नहीं जा रही है. वे गुजरात की तरह सिर्फ कांग्रेस को पलीता लगाएंगे.