Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अब भारत का क्या रुख हो? इसको लेकर केंद्र सरकार वेट एंड वॉच की स्थिति में है. हालांकि पिछले दिनों कतर की राजधानी दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबानी नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की. इस दौरान अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और शीघ्र वापसी के साथ-साथ भारत आने के इच्छुक अफगान नागरिकों की यात्रा पर भी चर्चा की गई.
क्या आने वाले दिनों में भी ऐसी मुलाकात होगी? इसको लेकर आज विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में साझा करने के लिए मेरे पास कोई नई जानकारी नहीं है. मैं अंदाजा नहीं लगाना चाहता हूं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आगे कहा कि हमारा जोर इस बात पर है कि अफगान भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए.
अफगानिस्तान से बाकी भारतीयों को वापस लाने के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि एक बार काबुल हवाई अड्डे पर परिचालन शुरू हो जाए तो हम इस मुद्दे पर दोबारा गौर कर सकेंगे. ज्यादातर भारतीय अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं.
बता दें कि तालिबान के कब्जे के बाद भारत करीब साढ़े पांच सौ लोगों को देश वापस लेकर आया है. 30 अगस्त को अमेरिकी सेना के वापस जाने के बाद से लोगों को वहां से निकालने के लिए हवाई सेवा बंद है.
बता दें कि भारत और अफगानिस्तान के बीच अच्छा संबंध रहा है लेकिन 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे के बाद भारत की चिंता बढ़ गई है. तालिबान के कब्जे के बाद बार-बार भारत ने दोहराया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए ।