पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी पर चर्चा किए जाने को लेकर एक बार फिर आश्चर्य व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा कि उनके मन में ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है. बिहार में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह से मुक्ति के लिए जमुई जिले के श्रीकृष्ण सिंह मेमोरियल स्टेडियम में आयोजित समाज सुधार अभियान में शामिल होने के बाद राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के संबंध में पत्रकारों के प्रश्न का जवाब देते हुये कुमार ने कहा, ‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. मुझे आश्चर्य है कि ऐसी बात कैसे उठी. हमारे मन में ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है. इन सबसे मेरा कोई लेना देना नहीं है. कहीं कोई बात नहीं हुई है. न हमको ऐसी बातों में रूचि है और न ही मेरा समर्थन है.” उन्होंने कहा, ‘‘हम अपना काम कर रहे हैं. समाज सुधार, विकास, समाज में प्रेम, भाईचारे का भाव हो, सब मिलकर चलें, हमारी दिलचस्पी इसी में है.”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक ने मंगलवार को कहा था कि अगर कुमार भाजपा के साथ संबंध तोड़ लेते हैं तो शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए जदयू नेता का समर्थन करने के लिए तैयार है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. निर्वाचक मंडल में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के अलावा संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं.
मीडिया के एक वर्ग द्वारा यह बताया जा रहा है कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए विपक्षी दलों के बीच कुमार के पक्ष में राय बनाने में भूमिका निभा रहे हैं. जदयू नेता कुमार के घोर विरोधी लालू प्रसाद की पार्टी राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए कुमार के नाम की चर्चा पता नहीं कहां से शुरू हुई.
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी अगर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना चाहती हो तो इसमें विपक्ष को क्या एतराज़ हो सकता है.”
तिवारी ने कहा, “ जहां तक विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में कुमार को पेश करने की बात है तो यह मुझे असंभव दिखाई देता है, क्योंकि उस हालत में तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी से अलग होना होगा.”
उन्होंने सवालिए लहजे में कहा, “क्या यह मुमकिन है ?”