बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सभी विधायकों और सांसदों की एक बैठक बुलाई. ये बैठक उनके गुस्से और गठबंधन सहयोगी बीजेपी के साथ बढ़ते टकराव का संकेत है. बिहार की गठबंधन सरकार को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हम आपको 5 उन बातों के बारे में बताएंगे जिनकी वजह से नीतीश बीजेपी से नाराज चल रहे है.
नीतीश चाहते हैं कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को हटा दिया जाए. मुख्यमंत्री ने सिन्हा पर कई बार अपना आपा खोया है. नीतीश कुमार ने आरोप लगाया है कि सिन्हा ने उनकी सरकार के खिलाफ सवाल उठाकर संविधान का खुले तौर पर उल्लंघन किया है.
केंद्र सरकार में उचित प्रतिनिधित्व न मिलना
जेडीयू को जून 2019 में सरकार में केवल एक पद दिए जाने की पेशकश के बाद से ही नीतीश बीजेपी से नाराज हो गए थे. उन्होंने बिहार के विस्तारित मंत्रिमंडल में अपने पार्टी के आठ सहयोगियों को शामिल करके पलटवार किया था और एक को बीजेपी के लिए खाली छोड़ दिया था.
राज्यों और केंद्र में एक साथ चुनाव
जेडीयू प्रमुख राज्य और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ कराने के खिलाफ हैं. राज्यों और संसद के चुनाव एक साथ कराने का विचार पीएम मोदी का दिया हुआ है, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है. यह उन मुद्दों में से एक था जहां जेडीयू और विपक्ष के सुर एक रहे.
बीजेपी के मंत्रियों के चयन से नीतीश नाखुश
सूत्रों का कहना है कि कुमार अपने मंत्रिमंडल में भाजपा के मंत्रियों के चयन में दखल चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो यह कदम गृह मंत्री अमित शाह की बिहार पर कथित पकड़ को कमजोर कर सकता है, माना जाता है कि अपने करीबी लोगों को मंत्री बना वह राज्य पर नियंत्रण बनाए हैं.
केंद्र में सांकेतिक प्रतिनधित्व से नहीं है नीतीश नाराज
नीतीश कुमार केंद्र सरकार द्वारा सहयोगियों को केंद्रीय मंत्रियों के रूप में सांकेतिक प्रतिनिधित्व की पेशकश पर बीजेपी भी नाराज है. शनिवार को जेडीयू से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने केंद्रीय मंत्री बनने के लिए नीतीश को दरकिनार करते हुए, सीधा बीजेपी नेतृत्व से संपर्क साधा था. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन) सिंह ने रविवार को कहा, “केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की क्या जरूरत है? मुख्यमंत्री ने 2019 में फैसला किया था कि हम केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे.”