इस बार कई बड़े चेहरे नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, जानिए कौन कौन है..

इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय राजनीति के कुछ बड़े चेहरे नजर नहीं आएंगे. राकांपा प्रमुख शरद पवार के चुनाव लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. वहीं, रामविलास पासवान, सुषमा स्वराज, उमा भारती जैसे नेता भी चुनाव नहीं लड़ेंगे. जयललिता और करुणानिधि के निधन के बाद तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और द्रमुक के लिए यह पहला चुनाव होगा. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस है.

बड़े नेता जो इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे

14 लोकसभा चुनाव लड़ चुके शरद पवार बोले- अब नहीं

चुनावी राजनीति में कब से : पवार ने पहली बार 1967 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. वे तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने केन्द्र सरकार में रक्षा और कृषि विभाग जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली.

चर्चा में क्यों रहे : शरद पवार 14 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट बेटी सुप्रिया सुले के लिए छोड़ी. पवार अभी राज्यसभा सदस्य हैं. इस बार उनके माढा से चुनाव लड़ने की अटकलें थीं.

चुनाव नहीं लड़ने का कारण : पवार ने कहा कि परिवार के दो सदस्य यानी सुप्रिया सुले और अजीत पवार के बेटे पार्थ इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. यही कारण है कि वे इस बार चुनाव मैदान में नहीं होंगे. उन्होंने कहा था कि परिवार और पार्टी के सदस्य चाहते हैं कि पार्थ (पोता) चुनाव लड़े.  मैं भी चाहता हूं कि नई पीढ़ी को राजनीति में आना चाहिए.

स्वास्थ्य कारणों के चलते सुषमा ने बनाई चुनाव से दूरी

चुनावी राजनीति में कब से : सुषमा स्वराज 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के लिए चुनीं गईं. वे तीन बार विधायक रहीं. चार बार लोकसभा सदस्य बनीं. तीन बार राज्यसभा सदस्य रहीं. इस दौरान वे राज्य और केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहीं.  दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं.

चर्चा में क्यों रहीं : सुषमा हरियाणा सरकार में 25 साल की उम्र में मंत्री बनीं. किसी भी राज्य में सबसे युवा मंत्री बनने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है. सुषमा 6 राज्यों हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड और मध्यप्रदेश की चुनावी राजनीति में सक्रिय रही हैं.

चुनाव नहीं लड़ने का कारण : सुषमा ने कहा था कि डॉक्टरों ने उन्हें इन्फेक्शन के चलते धूल से दूर रहने की हिदायत दी है. इसलिए वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकतीं, लेकिन वे राजनीति में बनी रहेंगी.

50 साल में पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे रामविलास पासवान

चुनावी राजनीति में कब से : पासवान पहली बार 1969 में विधायक बने. इसके बाद 1977 में वे पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. आठ बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद चुने गए. इन दौरान वे कभी यूपीए तो कभी एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.

चर्चा में क्यों रहे : लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक हैं. पिछले 50 सालों से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं. वे गुजराल, देवेगौड़ा, वाजपेयी, मनमोहन और मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री बने.

चुनाव नहीं लड़ने का कारण :पासवान ने इस साल जनवरी में ऐलान किया था कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने इसके पीछे का कारण स्पष्ट नहीं किया था.

 ‘राम’ और ‘गंगा’ के लिए उमा भारती ने छोड़ा चुनावी मैदान

चुनावी राजनीति में कब से : उमा भारती 1989 में पहली बार खजुराहो सीट से लोकसभा सदस्य चुनी गईं. वे अटल और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं. मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं. 2014 में झांसी से लोकसभा सदस्य बनीं.

चर्चा में क्यों रहीं : उमा भारती राम जन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख नेता रहीं. बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान भी वे अयोध्या में मौजूद थीं. मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रहने के दौरान एक मामले में गिरफ्तारी वॉरंट निकलने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से विवाद के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया. जून 2011 में उनकी पार्टी में वापसी हुई. वे केंद्रीय मंत्री हैं.

चुनाव नहीं लड़ने का कारण : उमा भारती ने कहा था कि वे अब सिर्फ भगवान राम और गंगा के लिए काम करेंगी और पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रहेंगी.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी नहीं लड़ेंगे चुनाव

चुनावी राजनीति में कब से : वेणुगोपाल 1996 में केरल की अलप्पुजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. वे ओमान चांडी सरकार में मंत्री और यूपीए-2 में राज्य मंत्री रह चुके हैं.

चर्चा में क्यों रहे: सिविल एविएशन में राज्य मंत्री रहने के दौरान 2013 में वेणुगोपाल ने एयर इंडिया में टिकट स्कैम का पता लगाया था. उन्होंने फ्लाइट में अपनी यात्रा के दौरान इस स्कैम को पकड़ा था. उनके पास अभी कांग्रेस में संगठन महासचिव का महत्वपूर्ण पद है.

चुनाव नहीं लड़ने का कारण : वेणुगोपाल का कहना है कि उन पर पार्टी संगठन की जिम्मेदारी है. वे कर्नाटक के प्रभारी भी हैं. इसी के चलते वे चुनाव न लड़ते हुए पार्टी के लिए काम करेंगे.

Related posts

Leave a Comment