दिल्ली: तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू की कवायद के बीच कांग्रेस ने दूसरे दलों से वार्ता के लिए पांच वरिष्ठ नेताओं का कोर ग्रुप बनाया है. इसमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत शामिल हैं. चूंकि अगली सरकार की चाबी वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी, तेलंगाना राष्ट्र समिति अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव और बीजू जनता दल अध्यक्ष नवीन पटनायक के हाथों में मानी जा रही है, ऐसे में इन नेताओं से बातचीत के लिए ही कांग्रेस ने कोर ग्रुप बनाया है.
सबकी अलग-अलग जिम्मेदारी
अशोक गहलोत और अहमद पटेल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से बात कर रहे हैं.
डीएमके अध्यक्ष स्टालिन और जगन मोहन रेड्डी से बात करने का जिम्मा पी चिदंबरम के पास है.
शरद पवार और चंद्रबाबू नायडू से तालमेल का जिम्मा गुलाम नबी आजाद संभाल रहे हैं.
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक को साधने के लिए दून स्कूल में उनके मित्र रहे कमलनाथ को लगाया गया है. कमलनाथ ही चंद्रशेखर राव से भी बातचीत कर रहे हैं.
क्यों बना कोर ग्रुप
ममता कांग्रेस में सोनिया गांधी, अहमद पटेल और अशोक गहलोत के अलावा किसी से बात नहीं करती हैं. राहुल के बाद संगठन में सबसे वरिष्ठ केसी वेणुगोपाल हैं जो ममता या पटनायक के मुकाबले कम अनुभवी हैं. सपा-बसपा और राजद का नेतृत्व बहुत उम्रदराज़ नहीं है. अखिलेश, मायावती और तेजस्वी यादव को राहुल, प्रियंका, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वेणुगोपाल से बातचीत में परेशानी महसूस नहीं होती.
23 की बैठक पर संशय
सोनिया द्वारा 23 मई को बुलाई गई विपक्ष की बैठक पर संशय के बादल हैं. बैठक में ममता का प्रतिनिधि नहीं होगा. स्टालिन खुद न आकर इलानगोवन को भेज रहे हैं. शरद पवार ने हामी नहीं भरी है. वामदलों का कहना है कि उन्हें सोनिया का न्यौता नहीं मिला है.