चंबा: सिविल अस्पताल किहार में अव्यवस्था के चलते एक गर्भवती की जान पर बन आई. मामला हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का है. प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती पहले सड़क के अभाव में पांच किलोमीटर पैदल अस्पताल पहुंची. अस्पताल में चेकअप करने पर उसे चंबा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. लेकिन रेफर होने पर भी उसे अस्पताल प्रशासन एंबुलेंस नहीं दे पाया. बताया गया कि अस्पताल के पास 108 एंबुलेंस की सुविधा ही नहीं है. ऐसे में परिजनों ने अपने स्तर पर निजी एंबुलेंस कर गर्भवती महिला को चंबा मेडिकल कॉलेज पहुंचाने की व्यवस्था की. हालांकि बाद में सुंडला से आ रही एंबुलेंस रास्ते में मंजीर के पास मिली, जिससे महिला को चंबा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया.
सिविल अस्पताल किहार में मरीजों की सहूलियत के लिए एक अदद एंबुलेंस तक का प्रावधान नहीं किया गया है. नतीजतन, छह पंचायतों से बीमारी की हालत में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों व यहां से रेफर किए जाने वाले मरीजों को अपने पैसों से टैक्सी का किराया खर्च कर आगे अस्पतालों तक का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में कई मरीज तो मेडिकल कॉलेज चंबा या फिर टांडा तक पहुंचने से पूर्व ही दम तक तोड़ चुके हैं.
समय-समय पर क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिक अस्पताल प्रबंधन व सीएमओ चंबा से भी सिविल अस्पताल किहार को एंबुलेंस प्रदान करवाए जाने की मांग उठाते आ रहे हैं. लेकिन, अभी तक इस दिशा में कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया जा सका है.
सिविल अस्पताल किहार में ग्राम पंचायत भांदल, सनूंह, किहार, किलोड़, सूरी और डांड के अधीन आने वाले गांवों से लोग इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. मगर एंबुलेंस सुविधा के अभाव में मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ती है. बीएमओ किहार डॉ. मनोज ने बताया कि अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा नहीं है। सीएमओ चंबा को भी लिखित में अवगत करवाया गया है.
डलहौजी विधानसभा क्षेत्र की विधायक आशा कुमारी ने कहा कि जिले के मेडिकल कॉलेज से भी चिकित्सक जा रहे हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. जिले में चलने वाली अधिकांश एंबुलेंस खटारा हो चुकी हैं. इस वजह से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही हैं. किहार में डॉक्टरों की भी कमी है. इसे सरकार को जल्द पूरा करना चाहिए.