रेलवे बोर्ड के दो विभागों की खींचतान में फंसी ट्रेन-18 को ट्रैक पर दौड़ाने के लिए इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर ऑफ गवर्नमेंट (ईआईजी) की स्वीकृति मिल गई है. चेन्नई रेल कोच फैक्ट्री में तैयार यह ट्रेन जल्द ही दिल्ली-वाराणसी के बीच 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी और आठ घंटे में यह दूरी तय करेगी.
रेलवे सूत्रों के अनुसार इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए रेल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेज दिया है. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से अगले सप्ताह तक स्वीकृति मिल जाएगी और दस दिनों के भीतर इस ट्रेन को ट्रैक पर उतार दिया जाएगा.
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस ट्रेन की यात्रा किराया तेजस ट्रेन की तर्ज पर ही होगा. अन्य सुपरफास्ट ट्रेनों से बेस फेयर 1.4 गुणा अधिक रखा जाएगा. ट्रेन में खान-पान का मेन्यू तैयार करने के लिए आईआरसीटीसी को निर्देश दे दिया गया. हालांकि इस ट्रेन में खाना रखने के लिए अलग से जगह नहीं होने के कारण आईआरसीटीसी पहले ही आपत्ति दर्ज करा चुका है. केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अगले तीन-चार दिनों में ट्रेन चलाने की तैयारी पूरी कर ली जाएगी.
गौरतलब है कि इस बहु प्रतीक्षित ट्रेन को करीब एक माह पहले रेलवे के मुख्य आयुक्त (संरक्षा) ने ट्रायल के बाद स्वीकृति दे दी थी. रेलवे बोर्ड ने इसका निर्माण करने वाले रोलिंग स्टॉक विभाग के विरोध के बावजूद सोमवार को ही इसे ईआईजी के निरीक्षण के लिए भेजना तय किया था. रोलिंग स्टॉक विभाग का कहना था कि जब रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ने इसका प्रमाणीकरण किया है तो ईआईजी के निरीक्षण की कोई जरूरत नहीं है.
ट्रेन-18 देश की पहली लोकोमोटिव रहित ट्रेन है जो करीब 30 वर्ष पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी. इसमें 16 कोच हैं. करीब 18 महीनों में बनकर तैयार हुई इस ट्रेन पर 97 करोड़ रुपए लागत आई है.