दिल्ली में मतदान के बाद सभी पार्टियों की बढ़ी चिंता की लकीरे, जानिए वजह

दिल्ली की सात लोकसभा सीट पर छठे चरण में 12 मई को मतदान पूरा हो गया. अब सबकी निगाहें 23 मई को नतीजे के दिन पर लगी है. लेकिन इससे पहले ही इस बार हुई वोटिंग में कुछ ऐसा पैटर्न देखने को मिला है जो सियासी दलों की नींद उड़ा रहा है. इस बार 2014 चुनाव में 65.1 फीसदी के मुकाबले कम मतदान हुआ. लेकिन मुस्लिम इलाकों में जबरदस्त मतदान हुआ है जिससे समीकरण पूरी तरह बदल सकता है. इसे लेकर खासतौर पर आप और कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले ज्यादा टेंशन हो रही है.

कहां कितनी वोटिंग

मुस्लिम इलाकों में इस बार जमकर वोटिंग हुई है. बल्लीमारान में 68.3%, मटिया महल में 66.9%, सीलमपुर में 66.5%, त्रिलोकपुरी में 65.4%, मुस्तफाबाद में 65.2%, बाबरपुर में 62.1%, चांदनी चौक 59.4% जबकि ओखला में 54.8 फीसदी मतदान हुआ.

वैसे तो मुस्लिम मतदाताओं का बढ़ चढ़कर मतदान करना भाजपा के लिए चिंता का सबब होना चाहिए. लेकिन यहां मामला उल्टा नजर आ रहा है. खबरों की माने कांग्रेस और आप में इस पैटर्न को लेकर ज्यादा चिंता सता रही है. दोनों पार्टियों को मुस्लिमों के वोट बंटने का डर सता रहा है. इनका मानना है कि इसका फायदा सीधा भाजपा को मिलेगा. जानकारों का मानना है कि वोटरों और उम्मीदवारों के बीच जुड़ाव न होने की वजह से इस बार कम मतदान हुआ है. प्रचार के दौरान बड़े नेताओं ने उम्मीदवारों को उभरने ही नहीं दिया इसके अलावा चुनाव में स्थानीय मुद्दों की जगह दूसरे मुद्दे हावी रहे. प्रचंड गर्मी ने भी मतदाताओं को पोलिंग बूथ से दूर रखा.

सात सीटों पर कितनी वोटिंग

उत्तर पूर्व दिल्ली – 63.45%
चांदनी चौक – 62.63%
पूर्वी दिल्ली – 61.93%
पश्चिम दिल्ली – 60.64%
उत्तर पश्चिम दिल्ली – 58.72%
दक्षिण दिल्ली – 58.13%
नई दिल्ली – 56.91%

सबसे ज्यादा मतदान यहां

2019 चुनाव में सबसे ज्यादा 63.45% मतदान उत्तर पूर्व दिल्ली सीट पर हुआ। नई दिल्ली में सबसे कम 56.9% मतदान हुआ। उत्तर पूर्व में बड़े पैमाने पर अनधिकृत कॉलोनिया हैं और यहां पर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए लोग बड़ी संख्या में रहते हैं।

मध्यवर्ग पर तीनों पार्टियों भरोसा

वहीं, नई दिल्ली पूरी तरह एक शहरी इलाका है और यहां केंद्रीय कर्मचारी, व्यापारी और मध्यवर्ग के लोग रहते हैं. बताया जा रहा है कि मध्यवर्ग का वोट तीनों बड़ी पार्टी भाजपा, कांग्रेस और आप में बंटेगा. भाजपा को मोदी की छवि और राष्ट्रवाद व सुरक्षा के मुद्दे पर वोट मिलने की उम्मीद है. वहीं, कई लोग शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में केजरीवाल सरकार के काम से खुश हैं जिसका फायदा आप को मिल सकता है. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है जो भाजपा से मुकाबला कर सकती है जिसका फायदा उसे मिलेगा.

आप को उम्मीद

अनुसूचित जाति के वोटरों पर आप की नजर है. इस वर्ग का मतदाता उसका कोर वोटर रहा है और विधानसभा चुनाव जिताने में उसने अहम भूमिका निभाई है. 2015 चुनाव में आप ने 12 रिजर्व सीटें जीती थीं. हालांकि अब तक ऐसा कुछ नजर नहीं आया है जिससे कहा जा सके कि भाजपा और कांग्रेस के पास इस वर्ग का वोटर आ रहा है. आरक्षित सीट में सीमापुरी में 67.4 फीसदी वोटिंग हुई वहीं गोकलपुरी में 67.5 फीसदी मतदान हुआ. सबसे कम 58.8 फीसदी मतदान पटेलनगर में हुआ.

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