प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी को यूएन की ओर से ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. दिल्ली में प्रवासी भारतीय भवन में यूनाइडेट नेशंस के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने पीएम मोदी को सम्मान दिया. पीएम को ये सम्मान पर्यावरण के क्षेत्र में अहम फैसलों के लिए मिला. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चैंपियंस ऑफ द अर्थ का सम्मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की जनता की प्रतिबद्धता का परिणाम है.
ये भारत की उस महान नारी का सम्मान है, जिसके लिए सदियों से रेस्क्यू और रिसाइकल रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि आबादी को पर्यावरण पर, प्रकृति पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना, विकास के अवसरों से जोड़ने के लिए सहारे की आवश्यकता है.
ये सम्मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिबद्धता का है. चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड, भारत की उस नित्य नूतन चीर पुरातन परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है. जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व के अधिष्ठान का आह्वान किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि इन सारे प्रयासों के बीच, अगर सबसे बड़ी सफलता हमें मिली है, तो वो है लोगों के behaviour, लोगों के thought process में बदलाव. पर्यावरण के प्रति लगाव हमारी आस्था के साथ-साथ अब आचरण में भी और मजबूत हो रहा है.
उन्होंने कहा कि ये संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्सा है. पेड़-पौधों की पूजा करना, मौसम-ऋतुओं को व्रत और त्योहार के रूप में मनाना, लोकगाथाओं में प्रकृति से रिश्ते की बात करना, हमने प्रकृति को हमेशा सजीव माना है. जो पौधे में भी परमात्मा का रूप देखती है. जो तुलसी की पत्तियां भी तोड़ती है, तो गिनकर जो चींटी को भी अन्न देना पुण्य मानती है.
आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। ऐसे में अपने शहरी जीवन को Smart और Sustainable बनाने पर भी बल दिया जा रहा है। Infrastructure को Sustainable Environment and Inclusive Growth के लक्ष्य के साथ बनाया जा रहा हैं.
साथ ही मोदी ने कहा है कि ये भारत के जंगलों में बसे आदिवासी भाई-बहनों का सम्मान है, जो अपने जीवन से ज्यादा जंगलों से प्यार करते हैं ये भारत के मछुआरों का सम्मान है, जो समंदर से उतना ही लेते हैं,जितना अर्थ उपार्जन के लिए आवश्यक होता है ये भारत के किसानों का सम्मान है, जिनके लिए ऋतुचक्र ही जीवनचक्र है.
मोदी ने कहा है कि देश के नेशनल हाईवे, एक्सप्रेसवे को इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है, उनके साथ-साथ Green Corridor विकसित किया जा रहा है. मेट्रो जैसे सिटी ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को भी Solar Energy से जोड़ा जा रहा है. वहीं रेलवे की Fossil Fuel पर निर्भरता को हम तेज़ी से कम कर रहे हैं.
आबादी को पर्यावरण पर, प्रकृति पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना, विकास के अवसरों से जोड़ने के लिए सहारे की आवश्यकता है, हाथ थामने की ज़रूरत है. इसलिए मैं Climate Justice की बात करता हूं. Climate Change की चुनौती से Climate Justice सुनिश्चित किए बिना निपटा नहीं जा सकता.
मोदी ने कहा है कि Climate और Calamity का Culture से सीधा रिश्ता है. Climate की चिंता जब तक Culture का हिस्सा नहीं होती तब तक Calamity से बच पाना मुश्किल है. पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना को आज विश्व स्वीकार कर रहा है, लेकिन ये हज़ारों वर्षों से हमारी जीवन शैली का हिस्सा रहा है.