पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नही रहे.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नही रहे. आपको बता दे की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गुर्दा नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण के चलते उन्हें 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था.उन्हें लाइफ सपॉर्ट सिस्टम पर रखा था. जून, 2001 में वाजपेयी के घुटनों का ऑपरेशन हुआ था तब से ही उनका स्वास्थ लगातार गिरने लगा था.

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ. वाजपेयी ने अपनी स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर, ग्वालियर से की थी. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक रहे. वाजपेयी हिन्दी कवि, पत्रकार और दमदार वक्ता भी रहे. उन्होंने BA की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में की।

भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक थे. वे छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने. बाद में वह डॉ सैयामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में एक भारतीय हिंदू राइट विंग राजनीतिक दल, भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। वह उत्तरी क्षेत्र के प्रभारी बीजेएस के राष्ट्रीय सचिव बने.

वह तीन बार भारत के प्रधान मंत्री बने। यह उनके कार्यकाल के दौरान ही भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए. नई दिल्ली-लाहौर बस सेवा की शुरुआत के साथ भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की उम्मीदों को बढ़ाया.

वाजपेयी ने 50 वर्षों तक संसद सदस्य के रूप में कार्य किया। 1957 से लोकसभा के लिए 10 बार चुने गए. उन्होंने छह अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1975 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के खिलाफ जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू क्रांति आंदोलन में भाग लिया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के समर्थन में नहीं थे. 1984 में उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी.

1996 के आम चुनावों में वाजपेयी ने भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन 13 दिनों के बाद सरकार गिर गई। इस दौरान भारत में सबसे कम सेवा करने वाले प्रधानमंत्री भी बने।

बाद में 1998 में बीजेपी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन कर सत्ता में आई थी. और वाजपेयी ने फिर से प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन AIADMK के समर्थन वापस लेने की वजह से सरकार 13 महीने ही चली.

लेकिन साल 1999 में फिर एक बार बीजेपी सत्ता में आयी और अटल बिहारी वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बने. इस बार उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की. इस दौरान वह प्रथम यात्री के रूप में पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की.

1999 कारगिल युद्ध में भारत की पकिस्तान पर विजय ने अटल की सरकार को और मज़बूत बनाया. विश्वभर में उनके लीडरशिप की काफी तारीफ की गयी थी.

अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ आगरा शिखर सम्मेलन के जरिये शांति बहाल की कोशिश की, लेकिन मुशर्रफ ने कश्मीर मुद्दे को न छोड़ने के चलते शिखर वार्ता विफल रही.

13 दिसंबर 2001 को अटल बिहारी वाजपेयी शासन में ही संसद पर आतंकी हमला हुआ था. जिसके बाद आतंवादियो को मार गिराया गया था.

 

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