फरीदाबाद में एक मंदिर ऐसा भी जिसका इतिहास कई हज़ारो साल पुराना है. अरावली की पहाड़ियों के बीच में बसा यह मंदिर काफी रहस्यमयी और चमत्कार माना जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर की जगह पर द्वापर युग में महाभारत के समय पांडव आकर रहे थे. मान्यता है कि जब पांडवो को बारह साल का बनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला उसी दौरान पांडव यहाँ आकर ठहरे थे. इसी जगह पर पांडवो ने भगवान् भोलेनाथ की पूजा अर्चना की थी.
साथ ही मान्यता है की त्रेतायुग में भी भगवान् राम के कार्यकाल में भी इस जगह के बारे में बताया गया है. इस जगह को महर्षि पराशर की तपोभूमि भी कहा जाता है और महर्षि पराशर के नाम पर ही यहाँ एक मंदिर का निर्माण किया गया जिसे परसोन मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर में एक शिवलिंग है. इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह करीब सात सौ साल पुराना शिवलिंग है.आपको बता दे कि महर्षि पराशर के पुत्र ऋषि वेदव्यास ने ही महाभारत ग्रन्थ कि रचना की थी. इस रिपोर्ट के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि आज यह मंदिर किस दशा में है और मंदिर में क्या क्या रहस्यमयी बातें है. देखिये पूरी रिपोर्ट: