बॉलीवुड एक्टर कादर खान का आज कनाडा वाले घर में निधन हो गया है. वह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. कादर खान के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, इसलिए उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. एक तरफ जहां नए साल 2019 का आगाज हो चुका है वहीं दूसरी तरफ कादर खान की मौत की खबर सुनकर पूरा देश और बॉलीवुड जगत में शोक की लहार दौड़ पडी है.
कादर खान के बेटे सरफराज ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘मेरे पिता हमें छोड़कर चले गए. लंबी बीमारी के बाद 31 दिसम्बर शाम छह बजे (कनाडाई समय) उनका निधन हो गया. वह दोपहर को कोमा में चले गए थे. वह पिछले 16-17 हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे.
कादर खान ने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया है. मुक्ति, ज्वालामुखी, मेरी आवाज सुनो, जमाने को दिखाना है, नौकर बीबी का, शरारा, कैदी, घर एक मंदिर, गंगवा, जान जानी जर्नादन, घर द्वार, तवायफ, पाताल भैरवी, इंसाफ की आवाज, सूर्यवंशम, हसीना मान जाएगी, फंटूश जैसी कई सुपर हिट फिल्मों में उन्होंने काम किया
2013 में, कादर खान को उनके फिल्मों में योगदान के लिए साहित्य शिरोमनी अवार्ड से नवाजा गया. इससे पहले कादर खान 1982 और 1993 में बेस्ट डायलॉग के लिए फिल्म फेयर जीत चुके हैं. कादर खान को 1991 को बेस्ट कॉमेडियन का और 2004 में बेस्ट सपोर्टिंग रोल का फिल्म फेयर मिल चुका है.
कादर खान ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1974 में रिलीज हुई फिल्म सगीना से की थी. कहते हैं कि उनका परिवार इतना गरीब था कि वह अक्सर इस हालात के आगे खुद को मजबूर पाते थे. कई बार वह मस्जिद से बाहर निकल कर कब्रिस्तान चले जाते थे. जहां वह जोर-जोर से चिल्लाते थे. वह वहां घंटों बैठा करते थे. कादर खान जब कब्रिस्तान में बैठकर जोर-जोर से रोते थे यह बात एक दिन रोटी फेम एक्टर अशरफ खान तक पहुंची. उन दिनों अशरफ खान को एक नाटक के लिए ऐसे ही लड़के की तलाश थी. उन्होंने कादर खान को रोल दे दिया.
उसके बाद कादर खान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. लेकिनकादर खान को उनकी असली पहचान कमेडियन के तौर पर मिली. साल 1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘कुली’ कादर खान के कॅरियर की सुपरहिट फिल्मों में से एक मानी जाती है. इसके बाद कादर खान ने गोविंदा के साथ कई बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में काम किया, दोनों ने साथ में दूल्हे राजा, कुली नं.1 और राजा बाबू जैसी फिल्मों में दर्शकों को खूब हंसाया.