दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल की लॉन्चिंग के मिशन की जानकारी बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया को दी थी. महज 3 मिनट में सैटलाइट को मार गिराने का यह मिशन पूरी तरह से सीक्रट रखा था और सिर्फ 5 से 6 लोगों के ग्रुप को ही इस संबंध में जानकारी थी. तकनीकी रूप से काफी जटिल इस मिशन को लेकर सरकार ने पूरी गोपनीयता बरती थी.
डीआरडीओ के वैज्ञानिक सतीश रेड्डी ने कहा कि इस प्रॉजेक्ट पर बीते करीब 6 महीने से 300 वैज्ञानिक और स्टाफ दिन रात काम कर रहे थे. यहां कि मंगलवार की शाम तक 5 से 6 लोगों के अलावा मिसाइल लॉन्चिंग की टाइमिंग को लेकर किसी को जानकारी नहीं थी. इससे पहले मई, 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में इसी तरह गोपनीयता बरतते हुए परमाणु परीक्षण किया गया था.
क्या होता है एंटी सैटेलाइट वेपन
एंटी सैटेलाइट वेपन एक हथियार होता है जो किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए डिजाइन किया जाता है. आजतक किसी भी युद्ध में इस तरह के हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है. लेकिन, कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिए इस तरह की मिसाइल सिस्टम को जरुरी मानते हैं.
अभी तक दुनिया के तीन देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के पास इस क्षमता प्राप्त थी. भारत ने दुनिया के चौथे देश के रूप में इस क्लब में प्रवेश लिया है.
अमेरिका
1950 में अमेरिका ने डब्लूएस-199ए नाम से रणनीतिक रूप से अहम मिसाइल परियोजनाओं की एक श्रृंखला को शुरू किया था. अमेरिका ने 26 मई 1958 से 13 अक्टूबर 1959 के बीच बारह परीक्षण किए, लेकिन ये सभी असफल रहे थे. 21 फरवरी 2008 को अमेरिकी डिस्ट्रॉयर जहाज ने RIM-161 मिसाइल का प्रयोग कर अंतरिक्ष में यूएसए 153 नाम के एक जासूसी उपग्रह को मार गिराया था.
रूस
रूसी एंटी सैटेलाइट कार्यक्रम के शुरू होने का कोई निश्चित तिथि का उल्लेख नहीं किया गया है. फिर भी यह माना जाता है कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिकी बढ़त को कम करने के लिए साल 1956 में सर्गेई कोरोलेव ने ओकेबी-1 नाम की मिसाइल पर काम करना शुरू किया था. इसके बाद रूस के इस मिसाइल कार्यक्रम को ख्रुश्चेव ने आगे बढ़ाया. इस दौरान रूस ने यूआर 200 रॉकेट के निर्माण कार्य शुरू किया. रूस ने मार्च 1961 में इस्ट्रेबिटेल स्पूतनिक के रूप में अपने फाइटर सैटेलाइट कार्यक्रम की शुरूआत की थी.
रूस ने फरवरी 1970 में दुनिया का पहला सफल इंटरसेप्ट मिसाइल का सफल परीक्षण किया. बाद में रूस ने इस कार्यक्रम को बंद कर दिया था. लेकिन अमेरिका द्वारा फिर से परीक्षण शुरू करने के बाद 1976 में रूस ने अपनी बंद परियोजना को फिर से शुरू कर दिया.
चीन
चीन ने 11 जनवरी 2007 को अपने खराब पड़े मौसम उपग्रह को मारकर इस विशिष्ट क्लब में प्रवेश किया था.