भारत में ईवीएम यानी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का कहाँ हुआ पहले इस्तेमाल, जानिए पूरी रिपोर्ट में

भारत में ईवीएम यानी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन को लेकर जितना विवाद हाल ही में हुआ है, उतना शायद ही पहले कभी हुआ हो। लेकिन क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं? ईवीएम का अविष्कार साल 1980 में एम बी हनीफा द्वारा किया गया था। उन्होंने इसका पंजीकरण 15 अक्तूबर 1980 को कराया।

कहां जनता ने देखा पहली बार?
तमिलनाडु के छह शहरों में आयोजित होने वाली सरकारी प्रदर्शनी में जनता ने ईवीएम को पहली बार देखा था। फिर चुनाव आयोग ने इसे इस्तेमाल करने का विचार किया। जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की सहायता से इसे बानने की प्रक्रिया शुरू हुई।

विज्ञापन:

पहली बार कहां हुआ इस्तेमाल?
देश में ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल साल 1982 के मई महीने में हुआ था। तब केरल के परावुर विधानसभा के 50 मतदान केंद्रों पर इसका इस्तेमाल किया गया था। हालांकि तब भी एक उम्मीदवार ने चुनावों में अपनी हार का कारण ईवीएम को बताया था। वो उम्मीदवार ए.सी.जोस थे। उन्होंने ईवीएम से चुनाव और परिणाम को कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद कोर्ट ने भी दोबारा चुनाव का आदेश दिया, हालांकि कोर्ट ने मशीन में गड़बड़ी की आशंका नहीं जताई थी.

कुछ समय तक नहीं हुआ इस्तेमाल
हालांकि 1983 के बाद कुछ सालों तक ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हुआ था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रावधान का आदेश दिया था। 1988 के दिसंबर माह में संसद में कानून में संशोधन हुआ और रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 में सेक्शन 61ए को जोड़ा गया। जिसके तहत चुनाव आयोग को वोटिंग मशीन इस्तेमाल करने की ताकत मिली।

जिन ईवीएम का निर्माण 1989-90 के दौरान हुआ था, उनका इस्तेमाल नवंबर 1998 के विधानसभा चुनावों में हुआ। इसे प्रयोग के तौर पर मध्यप्रदेश के पांच, राजस्थान के छह और दिल्ली के छह विधानसभा क्षेत्रों में इस्तेमाल किया गया था। लेकिन साल 2004 के बाद से सारे चुनाव ईवीएम से होने लगे।

ईवीएम के फायदे
ईवीएम मशीनें मतदान की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं। वोट देने के लिए मतदाता को केवल एक बटन दबाने की जरूरत होती है। बड़े-बड़े बैलेट बॉक्स के मुकाबले इन मशीनों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। बैलेट पेपर से होने वाले मतदान में अत्यधिक मात्रा में कागज खर्च होते थे, जिसका असर अप्रत्यक्ष रूप से पेड़ों पर पड़ता था। ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव के दौरान होने वाली कागजों की बर्बादी पर लगाम लगी है, इसलिए यह पर्यावरण संरक्षण की दृष्टी से भी लाभदायक है।

आर्थिक दृष्टी से भी ईवीएम मशीनों का प्रयोग बैलेट पेपर से कम खर्चीला होता है। क्योंकि यह मशीनें बैटरी से चलती हैं इसलिए बिजली के खपत का खर्च भी बच जाता है। इन मशीनों से मतगणना ज्यादा तेजी और आसानी से होता है। मैन्युअल गिनती जो कई दिनों का समय ले लेती हैं, उसके मुकाबले ईवीएम से चुनाव परिणाम कुछ घंटों में निकल जाते हैं।

Related posts

Leave a Comment