वाम दलों के समर्थन में किसान और मजदूर संगठन आज महंगाई, न्यूनतम भत्ता, कर्जमाफी समेत कई बड़े मुद्दों को लेकर दिल्ली की सड़कों पर मोदी सरकार के खिलाफ उतरे हैं. माना जा रहा है कि ये रैली रामलीला मैदान से संसद मार्ग होते हुए संसद का घेराव की योजना है. वाम समर्थित मजदूर संगठन ‘सीटू’ के महासचिव तपन सेन के मुताबिक यह अंतिम नहीं बल्कि पहली रैली होगी. सेन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मौजूदा केन्द्र सरकार सिर्फ धनी और कार्पोरेट घरानों के हितों को साधने वाली नीतियां बना रही है। इसका सीधा असर गरीब मजदूरों और किसानों पर हो रहा है.
दिल्ली की सड़कों पर उतरे किसान और मजदूरों की मांग है कि रोज बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाई जाए और खाद्य वितरण प्रणाली की व्यवस्था को ठीक किया जाए. ठेका कर्मियों को उसी स्थान पर पक्का किया जाए और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं. साथ ही मजदूरों के लिए बने कानून में मजदूर विरोधी बदलाव ना किए जाएं. किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों, गरीब खेती मजदूर और किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाए. पेट्रोज, डीजल व रसोई गैस की कीमतें कम की जाई तथा रिक्शा, टेम्पू चालकों व असंगठित क्षेत्र रेहड़ी-पटरी, फुटपाथ की सभी दुकानों को उजाड़ना व उत्पीड़न बंद हो. मजदूरों को ठेकेदारी प्रथा से छुटकारा दिया जाये. भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों से जबरन उनकी जमीन न छीनी जाए और प्राकृतिक आपदा से पीड़ित गरीबों को उचित राहत मिले. झुग्गी, मजदूर बस्तियों और गांवों में बिजली, पानी, गंदे पानी की निकासी, सड़क, सीवर आदि सभी नागरिक सुविधाएं शामिल है