सोमवार को केंद्र सरकार ने राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया. सरकार ने हलफनामे में कहा है कि उसने 36 विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया का पूरा पालन किया है. केंद्र सरकार ने राफेल की खरीद के फैसले लेने की प्रकिया से जुड़े दस्तावेज भी याचिकाकर्ता को सौंपे हैं. दस्तावेजों के मुताबिक, राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया था. साथ ही दस्तावेज में यह भी कहा गया कि विमान के लिए रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई और भारतीय दल ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत की. इसके अलावा दस्तावेजों में कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई.
गौरतलब है कि राफेल डील में लड़ाकू विमान की कीमतों को लेकर विपक्ष द्वारा सरकार पर गंभीर आरोप लगाया जा रहा है और इसी के तहत मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत 10 तारीख को केंद्र सरकार से सीलबंद लिफाफे में उस फैसले की प्रक्रिया की जानकारी देने को कहा था, जिसके बाद राफेल जेट की खरीद को लेकर फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से डील हुई.
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता रहा है कि यूपीए सरकार ने 600 करोड़ रुपये में एक राफेल का सौदा किया था, जबकि मोदी सरकार को एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा. सरकार ने अब तक इसकी कीमत सार्वजनिक नहीं की है. सरकार ने गोपनीयता का हवाला देकर राफेल डील की कीमत नहीं बताई है