सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का दौरा भारत के लिए क्यों है ख़ास और क्या होगा फायदा. जानिए इस खबर में

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल-सऊद अपने पहले भारत दौरे पर मंगलवार शाम को दिल्ली पहुंचे. यहां प्रधानमंत्री ने मोदी खुद उन्हें रिसीव करने गए और अपने चिरपरिचित अंदाज में गले लगाकर गर्मजोशी ने उनका स्वागत किया. बुधवार सुबह भी क्राउन प्रिंस के लिए राष्ट्रपति भवन में सेरेमोनियल रिसेप्शन का भव्य आयोजन किया गया. यहां दोनों नेताओं के बीच पुलवामा आतंकी के साए में बातें हुईं. बता दें कि क्राउन प्रिंस के साथ उच्च-स्तरीय आधिकारिक प्रतिनिधि मंडल और एक बड़ा व्यापारिक मंडल भी साथ आया है.

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का इस समय भारत आने का हमारे देश के लिए काफी मायने रखता है. क्राउन प्रिंस के इस दौरे को पाकिस्तान के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर सऊदी अरब भारत के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्राउन प्रिंस इससे पहले पिछले साल नवंबर में जी20 साइडलाइन्स के दौरान ब्यूनोस एयर्स में मिले थे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्राउन प्रिंस से अपने सऊदी अरब दौरे पर 2016 में मिले थे. उस वक्त वह डिप्टी क्राउन प्रिंस और सऊदी के रक्षा मंत्री थे. मालूम हो कि सऊदी अरब में भारत की अच्छी खासी जनसंख्या निवास करती है. यह संख्या 27 लाख के करीब है.

सऊदी अरब में रहने वाले भारतीय हर साल देश में करीब 11 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा की कमाई भेजते हैं. सऊदी अरब हर 1 लाख 75 हजार से भी ज्यादा हज यात्रियों को सुविधाएं मुहैया कराता है. यही सबसे बड़ा कारण है कि सऊदी अरब भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

2010 के रियाद घोषणापत्र में भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी की बात कही गई थी. दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों में निहित हैं, पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी व्यापक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग को शामिल करती है.

सऊदी अरब भारत के उन 8 रणनीतिक साझेदारों में से है जिसके साथ वह राजनीतिक जुड़ाव, सुरक्षा, व्यापार और निवेश और संस्कृति के क्षेत्रों में साझेदारी को गहरा करना चाहता है. भारत और सऊदी अरब के बीच सुरक्षा सहयोग भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है. पीएम मोदी के 2016 के सऊदी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने मनी लॉड्रिंग और आतंकवाद को वित्तीय सहायता रोकने को लेकर इंटेलीजेंस एक्सचेंज में सहायता के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे. नई दिल्ली का कहना है कि रियाद ने भारत में आतंक से जुडे़ मुद्दे पर भारी समझदारी दिखाते हुए इस मुद्दे पर भारत का वैश्विक तौर पर सपोर्ट करने की बात कही है.

रक्षा सहयोग
रक्षा के क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों के संबंधों की एक अहम कड़ी है. 2014 में रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच एक एमओयू साइन किया गया था. दोनों पक्ष विशेष रूप से संयुक्त नौसेना अभ्यास में संयुक्त उत्पादन और संयुक्त अभ्यास के साथ इस जुड़ाव को बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं.

व्यापार और ऊर्जा
पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 27.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिससे सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना, 2016-17 की तुलना में लगभग 10% की वृद्धि दर्ज की गई. सऊदी अरब भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रमुख आधार है, जो 17% या अधिक कच्चे तेल का स्रोत है और भारत की 32% एलपीजी आवश्यकताओं का है.

हाल ही में, संयुक्त अरब अमीरात के ADNOC के साथ सऊदी ARAMCO ने, रत्नागिरी रिफाइनरी और पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट लिमिटेड में साझेदार के रूप में सहमति व्यक्त की है, जो यूएस का 44 बिलियन डॉलर का संयुक्त उद्यम है. भारतीय साझेदार IOC, BPCL और HPCL हैं. भारत इस क्रेता-विक्रेता संबंध को ऊर्जा आधारित व्यापक साझेदारी में बदलने की उम्मीद करता है.

संयुक्त सहयोग के लिए रुचि के अन्य क्षेत्र उर्वरक, खाद्य सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, आदि हैं. हाल ही में एक बैठक में नीति आयोग के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने अपने सऊदी समकक्षों के साथ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल और फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक और विनिर्माण सुविधाओं और आवास जैसे क्षेत्रों को में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सुनिश्चित किया था.

सऊदी अरब खुद स्मार्ट सिटी, रेड सी टूरिज्म प्रोजेक्ट और एंटरटेनमेंट सिटी सहित कई बड़ी विकास परियोजनाएं चला रहा है, जिसमें भारतीय कंपनियां भाग लेना चाहती हैं. दोनों देश नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भी अधिक सहयोग की तलाश कर रहे हैं, जहां विशेष रूप से व्यापार और पर्यटन को बढ़ाने के संदर्भ में काफी संभावनाएं हैं. सऊदी अरब ने संदेश दिया है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ पहल में शामिल होगा.

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