भारत में अब समलैंगिकता अपराध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि अंतरंगता और निजता किसी की भी व्यक्तिगत पसंद होती है. दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने यौन संबंध पर IPC की धारा 377 संविधान के समानता के अधिकार, यानी अनुच्छेद 14 का हनन करती है. साथ ही समलैंगिकों को सम्मान के साथ जीने का पूरा अधिकार है और लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है. देश में रहने वाले व्यक्ति का जीवन का अधिकार मानवीय है, इस अधिकार के बिना सारे बेतुका है. इस फैसले के बाद भारत दुनिया के उन देशों में शुमार हो गया है जिसने समलैंगिकता को मान्यता दी है.
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