सर्जिकल स्ट्राइक को राजनीतिक रंग दिया गया, जिसकी जरूरत नहीं थी: रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा

29 सितंबर 2016 को LoC पार करके भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक किया था जिसका बीजेपी ने पूरे जोर शोर से प्रचार-प्रसार भी किया था. अब उसी सर्जिकल स्ट्राइक पर एक बड़ा ब्यान आया है. पाकिस्तान के खिलाफ सेना के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर इस सियासी बयानबाजी के बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा है कि बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार करना ठीक नहीं है. ऑपरेशन को राजनीतिक रंग दिया गया, जिसकी जरूरत नहीं थी. जनरल हुड्डा इस दौरान नियंत्रण रेखा के पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त उत्तरी सैन्य कमान के कमांडर थे. उन्होंने सवाल किया कि आखिर सर्जिकल स्ट्राइक पर और कितनी राजनीति की जाएगी? सेना की सर्जिकल स्ट्राइक सही थी या गलत थी क्या यह भी राजनेताओं से पूछा जाएगा? लेफ्टिनेंट जनरल हूडा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का बढ़ाकर प्रचार करने की आवश्यकता नहीं है. जब सेना की कार्रवाई की जरूरत होती है, तो इसे किया जाता है. साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत थी और हमने इसको अंजाम भी दिया था.’

आपको बता दें कि हालिया चुनावों में सर्जिकल स्ट्राइक का खूब जिक्र किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाकर सेना का अपमान किया तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने हार से बचने के लिए सैन्य अभियान का जिक्र रैलियों में किया.

राहुल गांधी ने पूछा- मनमोहन सरकार ने 3 बार सर्जिकल स्ट्राइक की, क्या आपको पता है? राहुल ने राजस्थान में पिछले दिनों कहा था, “जब सेना मनमोहन सिंह के पास आई थी और कहा था कि वे हमला करना चाहते हैं. तो उन्होंने कहा था कि हमें अपने उद्देश्यों के लिए इसे गुप्त रखने की जरूरत है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में तीन स्ट्राइक हुए और उसे सैन्य संपत्ति के रूप में गुप्त रखा गया.”

वही इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किये है.

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