बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली भाजपा प्रमुख और सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ चल रही सीलिंग तोड़ने के अवमानना के मामले में कार्रवाई बंद कर दी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सासंद होते हुए जो तिवारी ने किया वो सही नहीं. बीजेपी चाहे तो कार्रवाई कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें इस बात का दुख है कि मनोज तिवारी ने अपने हाथ में कानून लिया. न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने तिवारी की निंदा करते हुए कहा कि न्यायालय उनके व्यवहार से बेहद दुखी है क्योंकि निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें जिम्मेदाराना तरीके से व्यवहार करना चाहिए. पीठ ने कहा कि तिवारी ने अदालत से अधिकार प्राप्त समिति के खिलाफ ओछे आरोप लगाए जिससे पता चलता है कि वह कितना नीचे गिर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि गलत राजनीतिक दुष्प्रचार के लिए कोई जगह नहीं है और इनकी निंदा की जानी चाहिए.
आपको बता दे कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने 16 सितंबर को इस पर लगी सील तोड़ी थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी की शिकायत पर मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट मनोज तिवारी से बेहद नाराज था. कोर्ट का कहना था कि मनोज तिवारी एक सांसद हैं तो ऐसे में उन्होंने कानून को अपने हाथ में क्यों लिया? कोर्ट में 25 सितंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने मनोज तिवारी को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा था कि वह मॉनिटरिंग कमेटी पर सीलिंग मामले में पिक एंड चूज का तरीक़ा अपनाकर मनमाने तरीक़े से सीलिंग करने का आरोप लगा रहे हैं तो क्यों न उन्हें ही सीलिंग अफसर बना दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तिवारी को 3 अक्टूबर तक हलफनामा दायर करने को कहा था.