सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाती टेलीकॉम कम्पनियाँ, नई सिम लेने के दौरान मांग रही है आधार कार्ड

बीते 26 सितम्बर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. लेकिन कोर्ट ने बैंक खाते, मोबाइल फोन और स्कूल दाखिले में आधार अनिवार्य करने सहित कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया. पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में आधार को आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनाने के लिए अनिवार्य बताया. हालांकि अब आधार कार्ड को बैंक खाते से लिंक करना जरूरी नहीं है और मोबाइल सिम का कनेक्शन देने के लिए टेलीकॉम कंपनियां आपसे आधार नहीं मांग सकती हैं.

वहीं दूसरी तरफ मोबाइल सिम का कनेक्शन के लिए टेलीकॉम कम्पनियाँ सुप्रीम कोर्ट का आदेश नही मान रही है. नई सिम देने के समय सभी कंपनियों ने आधार को अभी भी अनिवार्य किया हुआ. शायद इन सभी कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कोई लेना देना नहीं है. इस मामले में जब हमने सिम देने वाले एक दुकानदार से पूछा तो उसने बताया है कि अगर आप नई सिम खरीदते हैं तो उस दौरान आपको आधार कार्ड लाना जरूरी रहता है. आधार कार्ड की फोटोकॉपी भी दुकानदार लेने से मना कर देता है. सिम लेने के दौरान आपको अपना ओरिजिनल आधार लाना होगा. दुकानदार के मुताबिक ड्राइविंग लाइसेंस या किसी अन्य प्रकार के प्रमाण पत्र को जमा करते हैं तो टेलीकॉम कंपनियां उस नंबर को चालू करने में आनाकानी करती है.

साथ ही उसने बताया है कि बिना आधार कार्ड के ली गयी सिम 99% चालू नहीं हो होगी.सिर्फ ही 1% का ही अनुमान है कि आपकी सिम चालू हो जाये. सिम लेने के दौरान ग्राहक को अपना ओरिजिनल आधार कार्ड लाना अनिवार्य है. उस दौरान दुकानदार आधार कार्ड और ग्राहक का फोटो खींचकर कंपनी को भेजता है. जिसके बाद कंपनी उसे वेरीफाई करते हुए नंबर को चालू करती है. अगर आप आधार कार्ड नहीं देते हैं तो आपका नंबर चालू नहीं हो पाता है. साथ ही दुकानदार ने बताया है आधार कार्ड के बिना ग्राहक को बहुत सारी परेशानियां आती हैं, कंपनी की ओर से कहा जाता है कि आपका वेरिफिकेशन नहीं हो पा रहा है किसी ना किसी बहाने से उसका वेरिफिकेशन रद्द कर दिया जाता है. जिसके तहत ग्राहक का नंबर चालू नहीं हो पाता है और ग्राहक चक्कर काटता रहता है.

 

वहीं इस मामले में फरीदाबाद के वरिष्ठ वकील एल एन पाराशर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश है कोई भी टेलीकॉम कंपनी नई सिम देने के समय अब आधार कार्ड नहीं मांग सकती है. अगर वह ऐसा करती पाई जाती है वह कोर्ट की अवमानना होगी. इसके तहत उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए.

 

सवाल यह उठता है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ़ कहा है कि कोई भी टेलीकॉम कंपनी नई सिम लेने या देने के दौरान आधार कार्ड नहीं मांग सकती है. तो क्या इन कंपनियों को कोर्ट के आदेश से कोई लेना देना नहीं है?

क्या इन कंपनियों के ऊपर किसी बड़ी अफसरशाही/नेता का हाथ है जिसकी चलते यह लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रहे है.??

क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन कंपनियों के लिए अलग है?

सुप्रीम कोर्ट का आदेश ना मानकर क्या इन कंपनियों पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए??

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