एससी-एसटी संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है . सुप्रीम कोर्ट ने क़ानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से सुनवाई के बिना रोक लगाना ठीक नहीं है. आपको बता दे कि दो वकील और एक NGO ने जनहित याचिका दायर कर सरकार के संशोधन कानून को चुनौती दी है.सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के आदेश को लागू किया जाए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीते 20 मार्च को अपने फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा था कि एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के तुरंत बाद मामला दर्ज नहीं होगा डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या रंजिश के तहत दायर किया गया है.
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है. जिसके बाद अब एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी गई है जिसमे कहा गया गया है कि शिकायत मिलने के बाद अब किसी भी डीएसपी की प्रारंभिक जांच जरूरत नहीं होगी और सीधी गिरफ्तारी हो सकती है. साथ ही इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान भी नहीं है.