दिल्ली: 16 दिसंबर से सभी बैंकों में 24 घंटे नेशनल इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) की सुविधा शुरू हो गई है। इसके लिए बैंक ग्राहकों से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। ऐसा करने का निर्देश भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को दिया है। इससे पहले एनईएफटी सुविधा सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक थी। महीने के पहले और तीसरे शनिवार को इसका वक्त सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक रहता था।
डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना है मकसद
आरबीआई ने देश भर में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है। आरबीआई ने कहा कि रिटेल डिजिटल ट्रांजेक्शन सालाना 60 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। अक्तूबर 2018 से सितंबर 2019 के बीच यह औसतन 2,846 करोड़ रुपये रहा है। इस दौरान कुल 302 लाख करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हुए हैं। एनईएफटी और यूपीआई के जरिए 1,126 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए। इसमें यूपीआई की ग्रोथ रेट 263 फीसदी है। वहीं एनईएफटी का ग्रोथ रेट 20 फीसदी रहा।
एक जुलाई से मुफ्त हुई थी NEFT सुविधा
छह जून को हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर के जरिये होने वाला लेन-देन निशुल्क कर दिया था। यह नियम एक जुलाई से लागू हो चुका था।
क्या है NEFT ?
NEFT का मतलब है नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर। इंटरनेट के जरिये दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिये किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है।
बस इकलौती शर्त ये है कि भेजने वाले और पैसा पाने वाले, दोनों के पास इंटरनेट बैंकिंग सेवा का होना जरूरी है। अगर दोनों खाते एक ही बैंक के हैं तो सामान्य स्थिति में कुछ सेकेंड्स के अंदर पैसा ट्रांसफर हो सकता है।