मुंबई के एक बिजनेसमैन के साथ ऐसा धोखा हुआ है कि आप चौंक जाएंगे. मीडिया में चली एक खबर के मुताबिक इस बिजनेसमैन के फोन पर 6 मिस्ड कॉल्स आए और व्यक्ति के अकाउंट से 1.86 करोड़ रुपये गायब हो गए. दरअसल इस फ्रॉड का नाम सिम स्वैप है. पुलिस डिपार्टमेंट के साइबर सेल्स जो कोलकाता, मुबंई, बेंग्लुरू और दिल्ली में है वो ऐसी घटनाओं के बारे में पहले भी जिक्र कर चुके हैं. तो अगर आपको लगता है कि इस धोखे में सिर्फ अनपढ़ लोग ही पड़ सकते हैं तो आप गलत हैं. क्योंकि इससे पहले शहर के भी कई पढ़े लिखे युवा इस धोखेबाजी की चपेट में आ चुके हैं. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे सिम स्वैप फ्रॉड किया जाता है.
आजतक शायद ही किसी ने सुना होगा कि मिस्ड कॉल से पैसे गायब हो जाते हैं लेकिन ये स्कैम भारत में काफी दिनों से चला आ रहा है. इस धोखे का नाम है सिम स्वैप. इसमें क्राइम करने वाले लोग मोबाइल फोन की मदद से आपके पैसों पर हाथ साफ करते हैं. अगर आप धोड़ा पीछे जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि कैसे आप 2जी से 3जी और फिर 4जी सिम कार्ड पर आ चुके हैं. दरअसल आपने एक ही तरह का सिम स्वैप टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया है जो नए सिम कार्ड पर रजिस्टर करने के लिए है. वहीं जब आप बड़े सिम कार्ड से नैनो सिम कार्ड में गए है तब भी आपने इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया है.
हर सिम कार्ड में 20 डिजिट नंबर होता है. इसे आप सिम कार्ड के पीछे चेक कर सकते हैं. वहीं धोखा देने के लिए आपसे ये नंबर पूछा जाएगा. मुंबई मिरर के अनुसार दरअसल अपराधियों को बिजनेसमैन का सिम कार्ड का नंबर मिल गया था जिसके बाद उन्होंने इस काम को अंजाम दिया. दरअसल ये दो स्टेप प्रोसेस है. सिम स्वैप एक धोखेबाजी है. इसे करने के लिए अपराधियों के पास पहले ही आपकी बैंकिंग आईडी और पासवर्ड की जानकारी होती है. इसके लिए सिर्फ उन अपराधियों को आपके मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी की जरूरत होती है जिससे वो ट्रॉंजैक्शन को अंजाम दे सके.
वहीं कई अपराधी इस काम को अंजाम देने के लिए बैंकिंग वेबसाइट का फेक वर्जन बना देते हैं जिससे आप उस वेबसाइट पर जाकर अपनी पूरी जानकारी दे देते हैं. जैसे बैंक का नाम, सिम कार्ड, नंबर और दूसरी चीजें. दरअसल बिजनेसमैन को रात 11 से 2 बजे के बीच दो नंबर से यानी की लंदन के डायलिंग कोड +44 से मिस्ड कॉल आए. हालांकि फोन सायलेंट मोड में होने के कारण कॉल को नहीं उठाया गया. इसके बाद सिम कार्ड को हैक करने के बाद कुल 1.86 करोड़ रुपये का ट्रांस्फर किया गया. जिसे देश के अलग अलग 14 अकाउंट में भेजा गया. इसके बाद बिजनेसमैन को अभी तक सिर्फ 20 लाख रुपये ही मिल पाए हैं.
क्या होता है सिम स्वैप?
सिम स्वैप एक ऐसा प्रोसेस है जहां आप अपने पुराने सिम के बदले नए सिम को रजिस्टर करवाते हैं. एक बार रजिस्टर होने के बाद आपका पुराना सिम बेकार हो जाता है. लेकिन हैकर्स के पास आपका पुराना फोन नंबर पहुंच जाता है. इसकी मदद से उनके पास ओटीपी आता है. अपराधी इसके बाद आपके अकाउंट से पैसे ट्रांस्फर कर सकता है.
सिम स्वैप लीगल होने के बाद ऐसा क्यों?
दरअसल ये एक पॉवरफुल टूल है जहां आप किससे बात करते हैं इसपर निर्भर करता है. दरअसल स्वैप के दौरान आप वोडाफोन, एयटेल और दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर से बात करते हैं. ये ऑपरेटर आपको ऑफिशियल USSD कोड से नामित करते हैं. लेकिन अगर आप खुद से इसको नहीं करते हैं तो आपके ऊपर खतरा रहता है. इसके बाद जब आप किसी को अपना 20 नंबर का सिम डिजिट नंबर भेजते हैं तो रिस्क बढ़ जाता है.
इसके बाद आपके पास किसी टेलीकॉम कंपनी के एग्जिक्यूटिव का फोन आता है. जो आपको सिग्नल और नेटवर्क को ठीक करने की बात करता है. इसके बाद ये आपसे मोबाइल डेटा और नेटवर्क को अच्छा बनाने की बात करता है. इस दौरान अपराधी आपसे 20 डिजिट सिम कार्ड नंबर मांगता है. तो वहीं फोन नंबर भी मांगा जाता है. इसके बाद आपसे कहा जाता है कि आप इस नंबर पर अपना सिम नंबर भेजे. और फिर 1 दबाएं. अब अपराधी के पास आपका सिम नंबर आ चुका है. जैसे मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी का फोन नंबर है. आपसे कंपनी कहती है कि अपने सिम नंबर को कंफर्म करने के लिए एक दबाएं और फिर सिम स्वैप हो जाएगा. इसके बाद आप जैसे कुछ समझ पाते हैं आपका फोन नंबर हैक हो जाता है.
सिम स्वैप होने के बाद आपके पास न तो सिग्नल आता है और आपका सिम काम करना बंद कर देता है. इसके बाद अपराधी अपना खेल शुरू करता है जहां उसके बाद नया सिम कार्ड होता है और उसमें पूरे सिग्नल आते हैं. इससे वो आपके मोबाइल नंबर को हैक कर आपका ओटीपी ले लेता है. इस मामले में अगर आपके पास मिस्ड काल या कुछ और आता है तो कृपया फोन गुस्से में आकर सायलेंट या ऑफ न करें. क्योंकि यही वो समय होता है जब अपराधी आपको बड़ा धोखा देता है. दरअसल टेलीकॉम ऑपरेटर्स को आपका सिम कार्ड चालू करने में काफी समय लगता है. इसके बीच में अपराधी आपको बार बार कॉल करके तंग करेगा ताकि स्वैप का प्रोसेसर पूरा होने से पहले वो आपके पैसे लूट ले. याद रहे इस मामले में आपसे आपका आधार कार्ड भी मांगा जा सकता है. इसलिए हमेशा अपना अकाउंट और बैलेंस चेक करते हैं. वहीं हमेशा अपने इंटरनेट बैंकिग का पासवर्ड बदलते रहें. तो वहीं अगर आपको कुछ गलत लगता है तो ट्रांजैक्शन को रोक दें. या थोड़ा इंतजार करें.