चंडीगढ़: हरियाणा निर्वाचन कार्यालय ने पुलिस प्रशासन की एक्सरसाइज के बाद प्रदेश में 83 मतदान केंद्रों को अत्यधिक जोखिम वाला और 2923 बूथों को अति संवेदनशील घोषित किया है। इन सभी बूथों पर अब अतिरिक्त फोर्स तैनात की जाएगी। अत्यधिक जोखिम वाले कुल मतदान केंद्र विभिन्न जिलों के 60 स्थानों और अति संवदेनशील बूथ 1419 स्थानों पर बनाए गए हैं।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क ने बताया कि प्रदेश में अत्यधिक जोखिम पूर्ण और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की पहचान करने के साथ-साथ शांतिपूर्ण और घटना मुक्त मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती होगी और निगरानी के लिए माइक्र्रो ऑब्जर्वर की नियुक्ति व वेब कास्टिंग की जाएगी जिससे सकुशल चुनाव सम्पन्न हो सकें।
विर्क ने बताया कि जिला कुरुक्षेत्र में अधिकतम 14 पोलिंग बूथ की पहचान अति जोखिमपूर्ण श्रेणी के तहत की गई है। जिसके बाद हिसार और पलवल में 10-10, मेवात, हांसी, सिरसा और पानीपत में 7-7, जींद और भिवानी में 5-5, यमुनानगर और दादरी में 3-3, महेंद्रगढ़ में 2 और गुरुग्राम और कैथल में एक-एक पोलिंग बूथ जोखिमपूर्ण पाए गए हैं।
इसी प्रकार, जिला मेवात में अधिकतम 342 अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की पहचान की गई है। इसके अलावा गुरुग्राम में 308, सिरसा में 292, झज्जर में 254, फरीदाबाद में 199, पानीपत में 143, अंबाला में 142, रोहतक और फतेहाबाद में 141, कुरुक्षेत्र में 119, पंचकूला में 98, यमुनानगर में 78, कैथल में 29, करनाल में 24, सोनीपत में 64, जींद में 29, हिसार में 49, हांसी में 46, भिवानी में 85, दादरी में 91, महेंद्रगढ़ में 107, रेवाड़ी में 60 और पलवल में 82 मतदान केंद्र अति संवेदनशील करार दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 10,309 स्थानों पर कुल 19,500 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
भारत निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के तहत ऐसा बूथ जहां पिछले आम चुनाव में 90 प्रतिशत मतदान हुआ है और किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में 75 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया है, ऐसा मतदान केंद्र अति जोखिमपूर्ण बूथ की श्रेणी में रखा गया है। जबकि अति संवेदनशील मतदान केंद्र या क्षेत्र वह है जहां मतदाताओं को पिछले चुनावों में गैरकानूनी साधनों का उपयोग करके वोट देने के लिए डराया या प्रभावित किया गया था और आगामी चुनाव में इसकी संभावना है। इस मैपिंग के बाद जिला अधिकारियों को मतदान से पहले और यहां तक कि मतदान के दिन तक कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है, ताकि ऐसे बूथों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित हो सके।