अयोध्या में रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिए गठित समिति की मध्यस्थता कार्यवाही के ‘परिणामों पर उच्चतम न्यायालय आज यानी शुक्रवार को विचार कर सकता है। साथ ही उच्चतम न्यायालय निर्णय करेगा कि मामले में सुनवाई की जाए अथवा मध्यस्थता प्रक्रिया जारी रखी जाए।प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 18 जुलाई को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति को कहा था कि मध्यस्थता कार्यवाही के परिणामों के बारे में 31 जुलाई या एक अगस्त तक अदालत को सूचित करें ताकि वह मामले में आगे बढ़ सके। समिति के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला हैं।
1. समझा जाता है कि कलीफुल्ला समिति ने बंद कमरे में हुई मध्यस्थता कार्यवाही के बारे में बृहस्पतिवार को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी। पीठ ने कहा, ”हम मध्यस्थता समिति से आग्रह करते हैं कि वह 31 जुलाई तक मध्यस्थता कार्यवाही के परिणामों से अदालत को अवगत कराए…।
2. पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
3. 18 जुलाई तक मध्यस्थता प्रक्रिया में हुई प्रगति के बारे में रिपोर्ट पढ़ चुकी पीठ ने कहा था कि पहले के आदेश के मुताबिक इसकी विषय वस्तु को गोपनीय रखा जाएगा।
4. उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई को मध्यस्थता प्रक्रिया पर रिपोर्ट मांगा था और कहा कि अगर अदालत मध्यस्थता प्रक्रिया समाप्त करने का फैसला करती है तो 25 जुलाई से रोजाना सुनवाई हो सकती है।
5. इसने न्यायमूर्ति कलीफुल्ला से मध्यस्थता प्रक्रिया के बारे में 18 जुलाई तक अवगत कराने और इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में बताने के लिए कहा था।