दिल्ली: देश में सस्ती और गुणवत्ता युक्त मेडिकल शिक्षा व्यवस्था लाने का रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय मेडिकल आयोग बिल को मंजूरी दे दी, बहुत जल्द इसे गजेट में भी अधिसूचित कर दिया जाएगा। बिल को संसद की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, अधिसूचित होने के बाद नियम तैयार किए जाएंगे और अगले छह महीने में राष्ट्रीय मेडिकल आयोग का गठन हो जाएगा।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार का यह फैसला देश में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा जिसके दूरगामी फायदे होंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, आयोग के गठन के बाद मेडिकल शिक्षा की फीस कम हो जाएगी, विद्यार्थियों का बोझ कम होगा और ईमानदारी व गुणवत्ता बढ़ेगी। मेडिकल में दाखिले की तमाम जटिलताओं से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार अधिक लोगों तक होगा। एनएमसी एक व्यापक निकाय होगा, जो मेडिकल शिक्षा के लिए नीतियां बनाएगा और चार स्वायत्त बोर्डों की गतिविधियों का समन्वय करेगा।
विरोध कर रहे डॉक्टरों की सभी दुविधाएं दूर
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि एनएमसी बिल को लेकर देश भर में विरोध कर रहे जूनियर व आवासीय डॉक्टराें के मन में अब कोई दुविधा नहीं रह गई है। उन्होंने कहा, मैंने डॉक्टरों से बात कर उनकी सभी शंकाओं को दूर कर दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में एनएमसी अपने लक्ष्य को हासिल करेगा।
आधे से ज्यादा सदस्य राज्यों से होंगे
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को आशंका है कि एनएमसी पर केंद्र सरकार का कब्जा होगा, यह पूरी तरह गलत है। डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि अलग अलग राज्यों में स्थित मेडिकल विश्वविद्यालयों से दस उपकुलपतियों और राज्यों की मेडिकल परिषदों से नौ सदस्य एनएमसी के लिए चुने जाएंगे। इस तरह कुल 33 में 19 यानी आधे से भी ज्यादा सदस्य राज्यों से होंगे। शेष 14 सदस्यों को केंद्र चुनेगा जो कि अल्पसंख्यक ही होंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, इस तरह एनएमसी प्रतिनिधित्व वाली, समावेशी और संघीय ढांचे का सम्मान करने वाली संस्था होगी।
यह फायदे होंगे
- एमबीबीएस में दाखिले के लिए पूरे देश में एक परीक्षा होगी
- परास्नातक में दाखिले के लिए एमबीबीएस अंतिम वर्ष के नतीजे आधार होंगे
- विदेश से स्नातक कर आए विद्यार्थियों को पास करनी होगी एग्जिट परीक्षा
- देश भर के सभी मेडिकल संस्थानों की काउंसिलिंग भी एक साथ होगी
- एक साथ अलग-अलग काउंसिलिंग से सीट ब्लॉक होने का संकट खत्म होगा
- अभ्यर्थियों को अलग अलग कॉलेजों में चक्कर काटने से छुटकारा मिलेगा
- विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों का शारीरिक और आर्थिक तनाव कम होगा