आर्टिकल 370 हटाना भारतीय संविधान के मुताबिक : संयुक्त राष्ट्र

आर्टिकल 370  हटाने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ विश्व बिरादरी की सहानुभूति बटोरने की कोशिश में जुटे पाकिस्तान को चौतरफा झटका लगा। दुनिया के ताकतवर देशों और संगठनों से मामले में मध्यस्थता और हस्तक्षेप की आस लिए दर-दर भटकते पाकिस्तान को हर जगह से मुंह की खानी पड़ी। उसे सबसे बड़ा झटका गुरुवार को  संयुक्त राष्ट्र से लगा जिसे पाकिस्तान ने 6 अगस्त को चिट्ठी लिखकर मामले में दखल देने की अपील की थी। जिस चीन को वह सदाबहार दोस्त कहता है और जिस तालिबान को उसने पाला-पोसा, उन दोनों ने भी पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। शनिवार को रूस ने पाकिस्तान को करारा झटका देते हुए कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को लेकर जो भी फैसला लिया, वह भारतीय संविधान के मुताबिक है। 

रूसी विदेश मंत्रालय ने शनिवार को जारी बयान में स्पष्ट कर दिया कि भारत ने अपने संविधान के दायरे में रहते हुए जम्मू-कश्मीर का दर्जा बदला और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मॉस्को तथ्यों की गहन पड़ताल करने के बाद इस फैसले पर पहुंचा है। रूस ने उम्मीद जताई कि दिल्ली द्वारा जम्मू और कश्मीर का दर्जा बदलने के कारण भारत और पाकिस्तान इलाके में हालात बिगड़ने नहीं देंगे। 

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘रूस भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते सामान्य रखने का लगातार समर्थन किया है। हमें उम्मीद है कि दोनों द्वपक्षीय आधार पर राजनीतिक और राजनयिक प्रयासों से अपने मतभेद सुलझा लेंगे।’ 

यूएन में भारत की दलील 

भारत ने संयुक्त राष्ट्र को बताया कि आर्टिकल 370 को भारतीय संविधान में यूएनएससी रेजॉलुशन के छह साल बाद 1954 में शामिल किया गया था और इसे 2019 में हटा लिया गया। दोनों घटनाएं संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के बाद ही हुईं, इसलिए जिस तरह पहली घटना मान्य कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन नहीं है, उसी तरह दूसरी घटना भी किसी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करती है। 

यूएन में नहीं चली पाकिस्तान की दलील 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेजिडेंट ने पाकिस्तान के आग्रह को नकार दिया और पत्र में उठाए सवालों के जवाब देने से भी इनकार कर दिया। यूएन ने बयान जारी कर कहा, ‘महासचिव ने भारत-पाकिस्तान को 1972 के द्विपक्षीय समझौते की याद दिलाई जो शिमला समझौता के रूप में जाना जाता है और जिसमें जम्मू और कश्मीर पर आखिरी समाधान यूएन चार्टर के तहत शांतिपूर्ण तरीकों से निकाला जाएगा।’ 

हालांकि, पाकिस्तान ने ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ कहकर चालबाजी करने की कोशिश की, लेकिन यूएन जेऐंडके को अविभाजित राज्य मानता है जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी शामिल है। यूएन के प्रवक्ता के मुताबिक, महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने ‘सभी पक्षों से जम्मू-कश्मीर का दर्जा बदलने वाला कोई भी कदम नहीं उठाने को कहा।’ 

पाकिस्तान को वॉशिंगटन से भी कोई राहत नहीं मिली। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर पर अमेरिकी नीति में कोई परिवर्तन नहीं आया है और वह इसे भारत-पाकिस्तान का द्वीपक्षीय मसला मानता है। 

उधर, पेइचिंग ने भी इस्लामाबाद को किसी तरह का समर्थन देने से इनकार कर दिया और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से कहा कि उसकी नजर में भारत-पाकिस्तान, दोनों ‘मित्रवत पड़ोसी’ देश हैं और दोनों देशों से अपेक्षा है कि वे संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों और शिमला समझौता के तहत यह मुद्दा सुलझा लेंगे।

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