चीन ने बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर भारत की चिंताओं के समाधान का सोमवार को वादा किया। साथ ही उसने द्विपक्षीय वाणिज्यिक रिश्तों में संतुलन कायम करने के लिए औद्योगिक उत्पादन, पर्यटन और सीमा व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया है। चीन के साथ भारत व्यापार असंतुलन का मुद्दा उठाता रहा है। भारत का व्यापार घाटा (निर्यात के मुकाबले आयात) पिछले साल बढ़कर 57.86 अरब डॉलर तक पहुंच गया। 2017 में यह घाटा 51.72 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार 95.5 अरब डॉलर का है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन की अपनी मौजूदा यात्रा के दौरान बातचीत एवं द्विपक्षीय कार्यक्रमों में व्यापार घाटे का मुद्दा उठाया। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की दूसरी अनौपचारिक बातचीत से जुड़ी तैयारियों के सिलसिले में यहां आए हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन आर्थिक संबंधों में ‘थोड़ी प्रगति’ हुई है। द्विपक्षीय व्यापार भी बढ़ा है लेकिन हमारा घाटा भी और बढ़ गया है। यह चिंता का विषय है।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ”भारत से आयात बढ़ाने के लिए पिछले कुछ महीनों में चीन की ओर से उठाये गए कुछ कदमों की हम सराहना करते हैं। चीन के घरेलू बाजार में हमारी दवा एवं आईटी उत्पादों और सेवाओं को बेहतर पहुंच उपलब्ध कराने जैसे कदम उठाये जा सकते हैं।”
इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन व्यापार असंतुलन को लेकर भारत की चिंताओं को स्वीकार करता है। वांग ने कहा, ”हम ऐसे सुविधा करने को तैयार हैं जिससे चाीन को भारत का निर्यात बढ़ सके।”