भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2018-19 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report) गुरुवार को जारी की. वित्त वर्ष 2018-19 में RBI की आय में बंपर बढ़ोतरी हुई है. लेकिन जालसाजी के मामलों की तत्काल पहचान और जवाबदेही तय करने के मोदी सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बैंक फ्रॉड केस कम नहीं हो रहे. रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में जालसाजी के मामले 15 फीसदी बढ़ गए हैं. रिपोर्ट में इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि रकम के हिसाब से जालसाजी में 73.8 फीसदी की भारी बढ़त हुई है. हालांकि, रिजर्व बैंक का कहना है कि ये सभी केस पिछले वित्त वर्ष में पकड़े जरूर गए हैं, लेकिन ज्यादातर कई साल पुराने हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में आरबीई की आय 146.59 फीसदी बढ़कर 1.93 लाख करोड़ रुपये हो गई. वहीं इस दौरान केंद्रीय बैंक (Central Bank) की बैलेंस शीट (Balance Sheet) 13.42 फीसदी बढ़कर 41.03 लाख करोड़ रुपये की हो गई.
वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार RBI की ब्याज से आय 44.62 फीसदी बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गई और अन्य आय 30 जून, 2019 को बढ़कर 86,199 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 4,410 करोड़ रुपये थी.
आरबीआई ने कहा कि, सरकारी प्रतिभूतियों में RBI की होल्डिंग 57.19 फीसदी बढ़ी और 30 जून, 2019 को यह 6.29 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 9.86 लाख करोड़ रुपये हो गई. यह बढ़ोतरी सरकारी प्रतिभूतियों की शुद्ध खरीद के माध्यम से 3.31 लाख करोड़ रुपये के लिक्विडिटी मैनेजमेंट ऑपरेशंस के कारण हुई थी
हालांकि निकट भविष्य की अर्थव्यवस्था को लेकर रिजर्व बैंक का पूर्वानुमान सकारात्मक नहीं है. उसने कहा, दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करने वाले बुरे कारकों से भारतीय अर्थव्यवस्था सुरक्षित नहीं है. हालांकि आरबीआई ने कहा है कि भारत के मैक्रो अर्थशास्त्र (Macro Economics) की आर्थिक स्थिरता उम्मीद की किरण है.
रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं. इसलिए इस रिपोर्ट में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया है. आरबीआई ने कहा है कि वैश्विक कारकों के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए संवेदनशीलता की जरूरत है. ऐसे में खपत और प्राइवेट निवेश को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होगी
वैश्विक गिरावट कई बिंदुओं पर अर्थव्यवस्था की बढ़त को करेगी प्रभावित
आरबीआई ने कहा है कि उभरते बाजारों की ग्रोथ कम करने वाले बुरे कारक वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) के लिए खतरनाक हैं. आगे कुछ दिनों में आर्थिक परिदृश्य में कई सारी अनिश्चितताएं दिख रही हैं. भारत के लिए भी अगले कुछ दिनों के आर्थिक परिदृश्य पर कई सारी अनिश्चितताएं देखी जा सकती हैं. यह गिरावट कई सारे बिंदुओं पर 2018-19 की ग्रोथ को प्रभावित करेगी. औसत मांग पहले के अपेक्षित स्तर के मुकाबले और ज्यादा कमजोर हुई है.
आरबीआई ने कहा है कि ILFS संकट के बाद NBFC से वाणिज्यिक क्षेत्र (Commercial Sector) का ऋृण प्रवाह 20% घटा है. आरबीआई ने सालाना रिपोर्ट में यह भी बताया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए हैं.
वहीं रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17% बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी है. सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के इमरजेंसी फंड में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है. आरबीआई ने यह भी कहा कि कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है.