श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद अब धीरे-धीरे राज्य में लगी पाबंदियां हटाई जा रही हैं। इसी कड़ी में जल्द ही उन राजनीतिक नेताओं को भी छोड़ दिया जाएगा जिन्हें नजरबंद कर दिया गया था। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार यह जानकारी गुरुवार को एक सरकारी अधिकारी ने दी है। उन्होंने बताया है कि घाटी में मौजूदा जमीनी हालात के आधार पर यह फैसला किया गया है। बता दें कि नैशनल कॉन्फ्रेंस नेताउमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी हिरासत में बंद हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘जैसे-जैसे हालात सुधर रहे हैं, पाबंदियों में ढील दी जा रही है। फ्री मूवमेंट से शुरू करके स्थानीय प्रशासन ने दुकानें और ऑफिस खोलने की इजाजत दी, स्कूल और सरकारी दफ्तर खोले गए, काफी हद तक लैंडलाइन फोन भी खोल दिए गए और अब कुपवाड़ा और हंदवाड़ा जिलों में मोबाइल सेवा भी शुरू हो गई है। जैसे-जैसे हालात सुधरेंगे, स्थानीय प्रशासन राजनीतिक नेताओं की हिरासत खत्म करने का फैसला भी करेगा।’
केंद्र नहीं करेगा समझौता
अधिकारी ने यह भी साफ किया कि केंद्र और हिरासत में लिए गए राजनीतिक नेताओं के बीच किसी तरह का समझौता नहीं होगा। हालांकि, स्थानीय प्रशासन या राज्य की एजेंसियां उनसे बात कर सकती हैं। अधिकारी से जब यह पूछा गया कि क्या इन नेताओं से उनकी रिहाई के बाद शांति बनाए रखने में सहयोग करने के लिए बातचीत की गई है, तो उन्होंने कहा, ‘बातचीत करने में क्या बुराई है, वे हमारे ही लोग हैं।’
मोबाइल इंटरनेट में ढील नहीं
श्रीनगर में मिल रहे संकतों के मुताबिक प्रशासन का लक्ष्य जमीनी हालात के आधार पर नेताओं को अगले दो हफ्ते में चरणबद्ध तरीके से रिहा करने का है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं क घाटी में मोबाइल कम्युनिकेशन पर प्रतिबंध में आने वाले दिनों में ढिलाई बरती जा सकती है लेकिन मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध फिलहाल कुछ वक्त जारी रह सकता है।