नई दिल्ली : सरकार ड्यूटी पर
तैनात डॉक्टरों और चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों पर हमले के बढ़ते मामलों
के मद्देनजर नया कानून लाने जा रही है। इसमें इस तरह की हिंसक वारदातों को संज्ञेय
एवं गैर-जमानती अपराध मानने का प्रस्ताव किया गया है। हिंसा में शामिल लोगों को 10 साल तक की जेल हो सकती है और 10 लाख रुपये तक
जुर्माना देना पड़ सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय
ने हेल्थकेयर सर्विस पर्सनल ऐंड क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट (प्रोहबिशन ऑफ वायलेंस
ऐंड डैमेज ऑफ प्रॉपर्टी) बिल, 2019 के मसौदे को
सार्वजनिक करते हुए इस पर 30 दिनों के अंदर आम लोगों की राय मांगी है।
भारतीय दंड संहिता (इंडियन पीनल कोड या आईपीसी) से जुड़ा यह ड्राफ्ट बिल कहता है, ‘जो कोई भी सबसेक्शन (1) में वर्णित हिंसा की
वारदात को अंजाम देगा और उससे किसी हेल्थकेयर प्रफेशनल को आईपीसी की धारा 320 में परिभाषित गंभीर चोट आएगी, उन्हें दोष
साबित हो जाने पर कम-से-कम तीन साल की जेल होगी और जो 10 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है एवं कम-से-कम 2 लाख रुपये
जुर्माना लगेगा जो अधिकतम 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।’
गौरतलब है कि देशभर में मरीजों के परिजनों द्वारा डॉक्टरों पर हिंसक हमलों और अस्पताल में तोड़-फोड़ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसे लेकर डॉक्टरों का देशव्यापी हड़ताल भी होता रहा है। इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) सरकार से ऐसी वारदातों पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून लाने की मांग करता रहा है। अब जब नए कानून का मसौदा तैयार है तो आप भी इस मीहने के आखिर तक अपनी राय से सरकार को अवगत करवा सकते हैं।